इंफाल: मणिपुर सरकार ने बुधवार से विभिन्न जिलों के बीच सरकारी परिवहन सेवाओं का संचालन फिर से शुरू करने का निर्णय लिया। हालांकि सरकार के इस फैसले पर यात्रियों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूबे की राजधानी इंफाल से चुराचांदपुर और कांगपोकपी के बीच चलाई गई बसों में दोपहर तक कोई भी यात्री सवार नहीं हुआ था। बताया जा रहा है कि कुछ यात्री सूबे के बिष्णुपुर और इंफाल पश्चिम जिलों में आवाजाही के लिए बसों का इंतजार करते जरूर देखे गए।
सरकार ने उपद्रवियों को दी कड़ी चेतावनी
सरकारी बसों की इन सेवाओं के माध्यम से लोग बिष्णुपुर से चुराचांदपुर और इंफाल पश्चिम में सेकमई से कांगपोकपी तक पहुंच सकेंगे। बता दें कि कांगपोकपी और चुराचांदपुर कुकी-जो-बहुल हैं जबकि इंफाल और बिष्णुपुर मेइती-बहुल इलाके हैं। मणिपुर की सरकार ने मंगलवार को लोगों से इस पहल में प्रशासन की मदद करने और हिंसा से दूर रहने की अपील की थी। इस बारे में जारी एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि अगर कोई भी शख्स इन गाड़ियों की आवाजाही में रुकावट पैदा करने वाली हिंसक गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो उसके साथ सख्ती से निपटा जाएगा और प्रासंगिक कानूनों के मुताबिक मुकदमा चलाया जाएगा।
मेइती और कुकी समुदयों के बीच लगातार झड़पें
मणिपुर में प्रशासन ने 19 महीनों में सार्वजनिक परिवहन सेवा को फिर से शुरू करने की यह दूसरी कोशिश की है। सूबे की इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती समुदाय और पहाड़ी जिलों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच झड़पें लगातार होती रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने सुबह से ही मणिपुर राज्य परिवहन यानी कि MST परिसर में पर्याप्त सुरक्षा के साथ बस सेवाएं बहाल करने की व्यवस्था की थी। हालांकि, खबर लिखे जाने तक चुराचांदपुर और कांगपोकपी जाने वाले कोई भी यात्री सेवाओं के बहाल होने के बावजूद इनका लाभ लेने के लिए नहीं पहुंचे थे।
नहीं थम रहा मई 2023 से शुरू हुआ बवाल
बता दें कि पिछले साल मई में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से पूर्वोत्तर के इस सूबे में हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आई हैं। सूबे में हालात किस कदर खतरनाक हैं इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मई 2023 से लेकर अब तक कम से कम 258 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं। मणिपुर में जारी इस हिंसा के दौरान इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के बीच सरकारी बस सेवाएं भी बंद कर दी गई थीं। (भाषा)