जल्द ही ज्वैलर्स बिना हॉलमार्किंग के सोने के सिक्से और बार नहीं बेच पाएंगे। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा है कि सरकार सोने के सिक्कों एवं छड़ों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। साथ ही प्रयोगशाला में तैयार हीरों के लिए भी नियम बनाए जा रहे हैं। खरे ने ‘सीआईआई रत्न और आभूषण सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों को क्वालिटी वाले प्रोडक्ट प्रदान करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की जरूरत है। खरे ने कहा, “रत्न एवं आभूषण सेक्टर हमारी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो निर्यात और रोजगार दोनों में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देता है।”
40 करोड़ से ज्यादा आभूषणों को दिया गया हॉलमार्क
सचिव ने सोने के आभूषणों और सोने की कलाकृतियों की 23 जून, 2021 से शुरू हुई अनिवार्य हॉलमार्किंग के सफल कार्यान्वयन का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 40 करोड़ से अधिक स्वर्ण आभूषणों को एक विशिष्ट एचयूआईडी (हॉलमार्क विशिष्ट पहचान) के साथ हॉलमार्क किया जा चुका है, जिससे बाजार में उपभोक्ताओं के लिए अधिक विश्वास और पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है। खरे ने कहा, “सोने के सिक्कों एवं छड़ों की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने का प्रस्ताव है और इस पर विभाग विचार कर रहा है।” उन्होंने कहा, “इसके पीछे सोच यह है कि जौहरी सोना आयात कर रहे होते हैं, तो कई बार वे खुद भी उस सोने की गुणवत्ता को लेकर सुनिश्चित नहीं होते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि संपूर्ण वैल्यू चेन को इसकी शुद्धता, इसकी सटीकता, ईमानदारी और सच्चाई के लिए पहचाना जाना चाहिए।”
2030 तक 134 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा मार्केट
खरे ने कहा कि भारत के रत्न एवं आभूषण क्षेत्र का बाजार वर्ष 2030 तक 134 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2023 में करीब 44 अरब डॉलर था। उपभोक्ता सचिव ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण निर्यातक भी है जो देश के कुल निर्यात का लगभग 3.5 प्रतिशत है। खरे ने कहा, “भारत सरकार इस क्षेत्र की क्षमता को पहचानती है और इसे निर्यात संवर्धन के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में भी नामित किया है।” सोने के आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग के बारे में सचिव ने कहा कि पंजीकृत आभूषण विक्रेताओं की संख्या बढ़कर लगभग 1.95 लाख हो गई है। जबकि परख एवं हॉलमार्किंग केंद्रों (एएचसी) की संख्या बढ़कर 1,600 से अधिक हो गई है।
हीरों के लिये भी बन रहे नियम
खरे ने यह भी कहा कि उपभोक्ता मामलों का विभाग बेहद महंगे प्राकृतिक हीरे खरीदने वाले उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से तैयार हीरों के लिए भी नियम बना रहा है। उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला में तैयार हीरों की मांग बढ़ रही है। इस अवसर पर रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के कार्यकारी निदेशक सब्यसाची रे ने कहा कि कच्चे माल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग किए जाने की जरूरत है।
(पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)