पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, 2 साल बाद जेल से बाहर आने का रास्ता हुआ साफ


पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी - India TV Hindi

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पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी

नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को शीतकालीन अवकाश शुरू होने से पहले या 31 दिसंबर तक आरोप तय करने के मुद्दे पर फैसला करने का निर्देश दिया है। अप्रैल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को जमानत देने से मना कर दिया था। 

जेल से बाहर आने का रास्ता साफ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पार्थ चटर्जी  को 1 फरवरी, 2025  को रिहा किया जाएगा। यदि आरोप तय करने और गवाहों की जांच पहले की जाती है, तो उन्हें उसी के तुरंत बाद भी रिहा कर दिया जाएगा। उन्हें विधानसभा का सदस्य होने के अलावा किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा। ​पिछली सुनवाई के दौरान पार्थ चटर्जी की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि वो पिछले दो साल दो महीने से जेल में हैं। अब उन्हे जमानत मिलनी चाहिए।

रिहाई के बाद मंत्री बन पाएंगे चटर्जी

शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि रिहाई के बाद चटर्जी को किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन मुकदमे के लंबित रहने के दौरान उन्हें विधानसभा का सदस्य बने रहना चाहिए। ये निर्देश केवल ईडी मामले से संबंधित हैं। याचिकाकर्ता ने  गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए ट्रायल कोर्ट के साथ पूर्ण सहयोग की भी बात रही। अदालत ने कहा कि आरोप तय करने के फैसले (यदि प्रतिकूल हो) को चुनौती देने के याचिकाकर्ता के अधिकार के बिना गवाहों से पूछताछ की जाएगी। 

गिरफ्तारी के बाद टीएमसी ने सभी पदों से हटाया था

इसमें कहा गया है कि ईडी मामले में आरोप पत्र दायर किया गया है, लेकिन कोई आरोप तय नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि हम ट्रायल कोर्ट को शीतकालीन छुट्टियां शुरू होने से पहले या 31.12.2024 से पहले फ्रेमिंग पर फैसला करने का निर्देश देते हैं। चटर्जी को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद चटर्जी को ममता बनर्जी सरकार ने उनके मंत्री पद से मुक्त कर दिया, जबकि टीएमसी ने उन्हें महासचिव सहित पार्टी के सभी पदों से हटा दिया।





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