आप की अदालत: फेवरेट हीरोइन और फिल्में देखने के सवाल पर गौर गोपाल दास ने क्या जवाब दिया?


Gaur Gopal Das- India TV Hindi

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गौर गोपाल दास

नई दिल्ली:  इंडिया टीवी के खास कार्यक्रम आप की अदालत में इस बार के मेहमान गौर गोपाल दास थे। इस दौरान गौर गोपाल दास ने जनता के सवालों के खुलकर जवाब दिए। ऑडियंस में से किसी ने गौर गोपाल दास से पूछा कि क्या आप फिल्में देखते हैं? क्या आपकी भी कोई फेवरेट हीरोइन है? इस पर गौर गोपाल दास ने बड़ी ही सहजता के साथ जवाब दिया।

गौर गोपाल दास ने दिया ये जवाब

गौर गोपाल दास ने हंसते हुए कहा, ‘सभी लोग इस कटघरे में मुझे पकड़ने की कोशिश में हैं। हां, मैं जरूर फिल्में देखता हूं। लेकिन मैं रोज फिल्में नहीं देखता। मैं ओटीटी पर भी जाकर फिल्में नहीं देखता। बॉलीवुड में भी मेरे कई मित्र हैं, जो अपनी फिल्मों को प्राइवेट स्क्रीनिंग के लिए मेरे आश्रम में भेज देते हैं। कभी-कभी दोस्तों की खातिर मैं फिल्म देख लेता हूं। कभी-कभी मेरी टीम मुझे कुछ फिल्में रिकमेंड करती है, वो फिल्म मैं जरूर देखता हूं।’

फेवरेट हीरोइन के सवाल पर गौर गोपाल दास ने कहा, ‘किसी एक का नाम लेने का मतलब किसी दूसरे की कलाकारी पर सवाल उठाना होता है। आप लोग लुक्स देखते होंगे लेकिन मैं उनके हुनर को देखता हूं। ऐसे कई आर्टिस्ट हैं, जिनका मैं दिल से सम्मान करता हूं। उनकी कलाकारी मुझे दिल से पसंद है।’

क्या गौर गोपाल दास को हुआ है प्यार?

गौर गोपाल दास से जब रजत शर्मा ने सवाल किया कि क्या आपको कभी प्यार हुआ है? इसके जवाब में गौर गोपाल दास ने मुस्कुराते हुए कहा कि एक बार एक पागलों का दवा खाना था। उसमें एक आदमी गया तो उसने देखा कि एक बंदा पंखे पर लटक रहा था। पंखे पर लटकते हुए वह कहता है कि ओ लैला। डॉक्टर से जब व्यक्ति ने पूछा तो डॉक्टर ने बताया कि लैला के प्यार में वह पागल था। लैला ने भागकर किसी और से शादी कर ली। वह व्यक्ति जब आगे बढ़ता है तो देखता है कि एक और व्यक्ति पंखे से लटककर लैला लैला चिल्ला रहा होता है। जब वह व्यक्ति डॉक्टर से पूछता है कि ये कौन है तो डॉक्टर कहता है कि लैला ने भागकर इसी से शादी की थी।

गौर गोपाल दास ने आगे कहा कि क्या हमारी जिंदगी में कोई अनामिका थी। नाम ही नहीं है तभी अनामिका है। हम लोवर मिडल क्लास से आए हैं। पढ़ाई करना जरूरी थी। सपने थे हमारे। सपनों के पीछे लगते-लगते हम इंजीनियरिंग में आए। इंजीनियरिंग में बस असाइनमेंट करते रहे। ये करते-करते एक समय आ गया और हम संत बन गए। प्यार के लिए वक्त ही नहीं मिला। वक्त मिलता तो कहानी कुछ और होती।

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