
                    बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती।
Delhi Assembly Election 2025: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में ‘पूरी ताकत और तैयारी’ के साथ शिरकत करने का ऐलान किया है। मायावती ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों के ऐलान का स्वागत करते हुए कहा कि BSP आयोग से यह उम्मीद रखती है कि वह स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के क्रम में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के साथ ही साम्प्रदायिकता व अन्य घिनौने प्रचार से चुनाव को दूषित होने से बचाएगा।
बता दें कि निर्वाचन आयोग ने दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए मंगलवार को चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होगा जबकि मतों की गिनती 8 फरवरी को की जाएगी। बता दें कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को समाप्त हो रहा है। दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं जिसमें से 58 सामान्य श्रेणी की जबकि 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। चुनावों के ऐलान के साथ ही सियासी पंडित अब यह आंकलन करने में जुट गए हैं कि दिल्ली में BSP के पूरी ताकत से लड़ने का क्या असर पड़ सकता है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में कैसा रहा है BSP का प्रदर्शन?
दिल्ली के विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी के पिछले प्रदर्शन पर नजर डालें तो उसके वोटिंग प्रतिशत में आमतौर पर गिरावट ही देखने को मिली है। 2020 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे मात्र 0.71 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, 2015 के चुनावों में भी पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और 1.3 फीसदी वोट पाने में कामयाब रही। 2013 में पार्टी ने 69 सीटों पर चुनाव लड़ा और 5.35 फीसदी वोट हासिल किए।

चुनाव आयोग ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया।
पार्टी ने सबसे शानदार प्रदर्शन 2008 में किया था जब 70 सीटों पर चुनाव लड़कर उसने न सिर्फ 14.05 फीसदी वोट हासिल किए बल्कि 2 सीटों पर भी जीत दर्ज की। वहीं, 2003 में पार्टी ने 40 सीटों पर चुनाव लड़कर 5.76 फीसदी वोट हासिल किए थे। इस तरह देखा जाए तो 2008 में पार्टी ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया था जबकि पिछले चुनाव उसके सबसे खराब रहे हैं। ऐसे में बीते 5 सालों में पार्टी ने जमीन पर खुद को कितना मजबूत किया है, यह देखने वाली बात होगी।
BSP ने अच्छा प्रदर्शन किया तो किसको होगा नुकसान?
सवाल यह उठता है कि अगर मायावती की पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर लिया तो किसे नुकसान होगा। दरअसल, बीएसपी का वोट बैंक मुख्य रूप से दलित वर्ग है और फिलहाल इस पर ज्यादा दखल आम आदमी पार्टी का है। बीजेपी और कांग्रेस को भी इस वर्ग से वोट मिलते रहे हैं लेकिन AAP दोनों ही पार्टियों से कहीं आगे है। ऐसे में अगर बीएसपी दिल्ली चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करती है तो कहीं न कहीं AAP की संभावनाओं को डेंट लग सकता है।
करीबी मुकाबले वाली सीटों पर बीएसपी का अच्छा प्रदर्शन कुछ बड़ी पार्टियों का खेल बना और बिगाड़ सकता है। ऐसे में कोई भी पार्टी BSP के उम्मीदवारों को हल्के में लेगी, ऐसा नहीं लगता। हालांकि पिछले चुनावों में बीएसपी के प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि उसे दिल्ली में फिर से अपनी जमीन बनाने के लिए बहुत ही ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। लेकिन अगर बीएसपी ने दिल्ली में अपने प्रदर्शन में जरा भी सुधार किया, तो आने वाले चुनावों के लिए उसके कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार होगा।

दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह।
2020 के चुनावों में कैसा था विभिन्न पार्टियों का प्रदर्शन?
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों की बात करें तो आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर बड़ी जीत दर्ज की थी। इन चुनावों में कांग्रेस का एक बार फिर पूरी तरह से सफाया हो गया था, और उसके वोट प्रतिशत में भी बड़ी गिरावट आई थी। 2020 में AAP ने 53.57 फीसदी वोट हासिल किए थे और 70 में से 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उसे 2015 के मुकाबले 5 सीटों का नुकसान हुआ था जबकि वोट प्रतिशत में 0.73 फीसदी की कमी आई थी। वहीं, बीजेपी ने अपनी सीटों की संख्या 3 से बढ़ाकर 8 कर ली और वोट प्रतिशत भी 6.21 फीसदी बढ़कर 38.51 फीसदी पर पहुंच गया।
2020 के चुनावों में बीजेपी की सहयोगी पार्टियों जेडीयू और एलजेपी को भी क्रमश: 0.91 और 0.35 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस को इन चुनावों में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था। पार्टी को 2015 के चुनावों में मिले 9.7 फीसदी मतों के मुकाबले 2020 में महज 4.26 फीसदी वोट मिले और उसका पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया। उसकी साथी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल भी 4 सीटों पर चुनाव लड़कर मात्र 0.04 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई। मायावती की बीएसपी को 0.71 फीसदी और अन्य को 1.19 फीसदी वोट मिले थे।

 
                    