शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल का इस्तीफा मंजूर, एक मार्च को होगा नए पार्टी चीफ का चुनाव


सुखबीर बादल

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सुखबीर बादल

चंडीगढ़ः शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल का इस्तीफा पार्टी ने मंजूर कर लिया है। बादल ने 16 नवंबर को ही इस्तीफा दे दिया था। तब कुछ कारणों की वजह से इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया था। सुखबीर बादल ने कहा कि कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करता हूं। अब नई मेम्बरशिप होगी और पार्टी का पुनर्गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 20 जनवरी से पार्टी की मेम्बरशिप ड्राइव शुरू हो जाएगी।

एक मार्च को होगा नए पार्टी अध्यक्ष का चुनाव

सुखबीर बादल ने कहा कि पार्टी का सदस्यता अभियान 20 जनवरी से लेकर 20 फरवरी तक चलेगा। पार्टी ने 25 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया था। एक मार्च को अकाली दल अध्यक्ष पद का चुनाव होगा। चुनाव की सभी तैयारियां की जा रही हैं। 

कार्यसमिति की बैठक में मंजूर किया गया इस्तीफा

पार्टी प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने शुक्रवार को कार्यसमिति की बैठक के बाद बादल के इस्तीफे को मंजूर किए जाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि बादल के इस्तीफे की स्वीकृति पार्टी के भीतर आंतरिक बहस के बाद हुई। सुधवार सिंह बादल ने 30 अगस्त, 2024 को सक्रिय नेतृत्व से हटकर बलविंदर सिंह भुंदर के नेतृत्व में एक कार्य समिति को दिन-प्रतिदिन के कार्यों को स्थानांतरित कर दिया था।  

पार्टी अधिकारियों के अनुसार, शिरोमणि अकाली दल (SAD) की कार्य समिति ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष पद से सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। यह निर्णय दिसंबर की शुरुआत में अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह के निर्देश के बाद लिया गया, जिसमें शिअद से बादल के इस्तीफे के संबंध में 2 दिसंबर के आदेश को लागू करने का आग्रह किया गया था। यह स्वीकृति पार्टी मुख्यालय में कार्यसमिति की बैठक के दौरान हुई।

अकाल तख्त ने दिया था ये निर्देश

बता दें कि अकाल तख्त ने दो दिसंबर को 2007 से 2017 तक पंजाब में शिअद और उसकी सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ के लिए बादल एवं अन्य नेताओं को धार्मिक सजा सुनायी थी और शिअद की कार्यसमिति को पार्टी प्रमुख के रूप में बादल एवं अन्य नेताओं के इस्तीफे को स्वीकार करने का भी निर्देश दिया था। पिछले साल 30 अगस्त को सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ अकाल तख्त ने बादल को ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया था। अकाल तख्त ने उन्हे धार्मिक सजा भी सुनायी थी।

इनपुट- पीटीआई





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