Mahakumbh: महाकुंभ के बाद कहां चले जाते हैं नागा? रुद्राक्ष धारण किए इस बाबा ने बताए जगहों के नाम


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बाबा ने बताया कि महाकुंभ के बाद नागा कहां जाते हैं

Kumbh Mela 2025: महाकुंभ के बाद नागा कहां चले जाते हैं? अगर ये सवाल आपके मन में अक्सर गूंजता है, तो इस सवाल का जवाब महाकुंभ के एक रुद्राक्ष बाबा चैतन्य गिरी ने दिया है। इंडिया टीवी से खास बातचीत में इस बाबा ने बताया कि कुंभ के बाद कोई नागा हिमालय चला जाता है, कोई सतपुड़ा चला जाता है, कई द्रोणागिरी की तरफ चले जाते हैं और कई किष्किंधा की तरफ चले जाते हैं। 

रुद्राक्ष बाबा और क्या बोले?

रुद्राक्ष बाबा चैतन्य गिरी ने कहा कि नागा फौज सनातनी है। सर्दी, गर्मी और बारिश तीन ऋतु होती हैं। तीनों ऋतुओं के लिए सम भाव में जाओ। आपके अंदर भी वही प्रकृति है, हमारे अंदर भी वही प्रकृति है। कोई तपस्या कर रहा है, कोई नौकरी कर रहा है, कोई झाड़ू निकाल रहा है। 

रुद्राक्ष बाबा चैतन्य गिरी ने अपनी वेशभूषा पर कहा कि ये वस्त्र हमारे आभूषण हैं। जिस तरह आप लोग पैंट-शर्ट पहनते हैं, वैसे ही ये नागाओं के वस्त्र हैं। देवताओं के समय कार्तिकेय को सेनापति बनाया था, गणेश को गणाध्यक्ष बनाया, शनि देवता को न्याय का देवता बनाया, इसी तरह ये नागा धरती के पुत्र हैं। मन चंचल है, मन चंद्रमा है।

एक और नागा बाबा ने बताया कि संपूर्ण त्याग करो। तभी भक्ति मार्ग में संपूर्णता आएगी। इंसान के मन में ये भाव तभी आता है, जब कोई परिस्थिति आती है। जैसे कोई देवता की एक पहचान होती है और वह विशेष वस्त्र पहनते हैं। इसी तरह नागाओं का वस्त्र भस्म होती है। भोलेनाथ का श्रंगार भस्म से होता है।

क्यों नग्न रहते हैं नागा? महंत आशुतोष गिरी ने बताया

महंत आशुतोष गिरी ने बताया कि अखाड़े का नियम है कि बालक जैसा जन्म लेता है, वैसा ही यहां अखाड़े में भी आना है। इसीलिए वो संसार को त्याग देते हैं। सभी का पिंडदान कर दिया जाता है। हमारे 17 पिंडदान होते हैं। जिसमें 8 जन्म के पहले के और 8 जन्म के बाद के होते हैं। एक पिंडदान खुद का होता है। वो संसार के लिए मृत होते हैं।





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