Mahakumbh: महाकुंभ शुरू होने से पहले ‘पर्यावरण बाबा’ ने लोगों से की खास अपील, कोविड के दौर की दिलाई याद


महामंडलेश्वर अवधूत बाबा उर्फ पर्यावरण बाबा

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महामंडलेश्वर अवधूत बाबा उर्फ पर्यावरण बाबा

Kumbh Mela 2025: महाकुंभ 2025 के आयोजन से पहले शनिवार को कई प्रमुख संत, जिनमें ‘पर्यावरण बाबा’ और ‘रुद्राक्ष बाबा’ भी शामिल थे, प्रयागराज पहुंचे। महामंडलेश्वर अवधूत बाबा उर्फ ‘पर्यावरण बाबा’ ने कहा कि सनातन धर्म यह सिखाता है कि हर व्यक्ति को 2 पेड़ लगाने चाहिए, जिसमें एक पेड़ अंतिम संस्कार के लिए और दूसरा पीपल का पेड़ ऑक्सीजन के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तक मैंने 82 अनुष्ठान किए हैं। मेरे भक्त लगभग 30 देशों से 1 करोड़ से अधिक पेड़ लगाने का संकल्प ले चुके हैं। 2016 में वैष्णोदेवी से कन्याकुमारी तक पदयात्रा के दौरान हमने करीब 27 राज्यों में पेड़ लगाए थे। इसके बाद, भक्तों ने मुझे ‘पर्यावरण बाबा’ के नाम से पुकारना शुरू कर दिया।

“हर व्यक्ति को 2 पेड़ लगाना चाहिए”

उन्होंने आगे कहा, “कोविड के दौरान हर धर्म के लोगों को ऑक्सीजन की आवश्यकता थी। मैं 2010 से इस कार्य में लगा हूं। सनातन धर्म में यह सिखाया जाता है कि हर व्यक्ति को 2 पेड़ लगाना चाहिए, जिनमें से एक पेड़ अंतिम संस्कार के लिए और एक पीपल का पेड़ ऑक्सीजन के लिए होता है।” ‘पर्यावरण बाबा’ ने यह भी बताया कि उनके पास एक विशेष वाहन है, जिसका उपयोग वे कोविड के दौरान ऋषिकेश में किया करते थे और जब तक वे 1 किलोमीटर तक यात्रा करते, वहां कोविड का असर नहीं होता था।

रुद्राक्ष बाबा भी पहुंचे प्रयागराज

इस बीच, निरंजनी पंचायती अखाड़े के रुद्राक्ष बाबा उर्फ बाबा दीगंबर अजय गिरी भी प्रयागराज पहुंचे। वे अपने शरीर पर 11,000 रुद्राक्ष पहने हुए थे। उन्होंने कहा, “रुद्राक्ष भगवान शिव का हिस्सा है और यह उनके आंसू से उत्पन्न हुआ है। 1 से 21 मुख वाले रुद्राक्ष होते हैं, जो स्वयं में दिव्य होते हैं। यही कारण है कि संत इसे पहनते हैं। शिवपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति 11,000 रुद्राक्ष पहनता है, उसे भगवान शिव का रुद्र अवतार माना जाता है। संतों द्वारा विभिन्न रत्न पहनने का उद्देश्य विभिन्न ग्रहों के लाभ प्राप्त करना होता है।”

महाकुंभ के कार्यक्रमों की घोषणा

इससे पहले में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के महासचिव बजरंग लाल बागड़ा ने आगामी महाकुंभ के कार्यक्रमों की घोषणा की। वीएचपी के प्रेस रिलीज के अनुसार, वे कुंभ मेला क्षेत्र के ऋषि भारद्वाज आश्रम, पुराने जीटी रोड, सेक्टर 18 में कई आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। इनमें 24 जनवरी को केंद्रीय मार्गदर्शन बोर्ड की बैठक, 25 जनवरी को साध्वी सम्मेलन, 25-26 जनवरी को संत सम्मेलन और 27 जनवरी को युवा संत सम्मेलन शामिल हैं।

महाकुंभ का आयोजन 12 सालों बाद हो रहा है और इस बार 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु गंगा, यमुन और सरस्वती (अब लुप्त) के संगम पर पवित्र स्नान करेंगे। महाकुंभ 26 फरवरी को समाप्त होगा। कुंभ के मुख्य स्नान (शाही स्नान) 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) को होंगे।

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