‘कुंभ की जमीन किसी के अब्बा की नहीं हमारे बब्बा की है’, मौलाना रजवी को बाबा बागेश्वर का जवाब


Pandit dhirendra Shastri

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पंडित धीरेंद्र शास्त्री

बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में हैं। यहां वह पांच दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे हैं। पंडित धीरेंद्र शास्त्री पुरी में एक श्रीमद्भागवत कथा में शामिल हुए। इस दौरान बागेश्वर सरकार ने मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी को जवाब देते हुए कहा कि कुंभ की जमीन किसी के अब्बा की नहीं बल्कि हमारे बब्बा की है। कुछ दिन पहले कुंभ मेले की तैयारियों के दौरान इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा था कि महाकुंभ के मेले में जमीन के जिस हिस्से पर तंबू अखाड़े लगाए हैं, मेला लगा रहे हैं वो वफ्फ की जमीन है और वहां के मुसलमानों की जमीन है।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी के बयान पर जवाब देते हुए पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अब्बा और बब्बा वाला बयान दिया। बागेश्वर पीठाधीश्वर जगन्नाथ पुरी में एक भागवत कथा में शामिल होने पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपने आशीर्वचन के दौरान बिना किसी का नाम लिए कहा कि सोचो अगर तुम उनमें पैदा हुए होते तो क्या होता? चाचा की बिटिया से शादी कर लेते हैं। उनके में एक ही ईमान है कि कोई ईमान नहीं है।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी को दिया जवाब

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा “एक भाई साहब बयान दे रहे थे, यह जो कुंभ की जमीन है, यह वक्त की जमीन है। हमें फोन आया कि वह कह रहा है वक्फ बोर्ड की जमीन है तो हमने कहा उनसे कह दो कि ये तुम्हारे अब्बा की जमीन नहीं है, यह हमारे बब्बा की है। क्योंकि इस्लाम धर्म का प्रारंभ भारत से नहीं हुआ, अरब से हुआ और भारत गोपाल की भूमि है। यहां तो सब गोविंद जी का है। हमने तो दी है जमीन तुम्हारे पास जो जमीन है, वह भी हमने दी है। यह हमारी उदारता है कि हमने तुम्हें दी है। तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है, तुम्हारे अलग देश हैं, जो बंटे हुए हैं।

सनातन धर्म को लेकर क्या बोले

बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री सनातन धर्म की खासियत बताते हुए कहा “सनातन धर्म जैसा कोई दूसरा धर्म नहीं है। वसुदेव कुटुंबकम कि परंपरा कहीं और नहीं है। सनातन एकमात्र ऐसा धर्म है, जो पूरी दुनिया को अपना परिवार मानकर जीता है। बाकी दुनिया के लोग व्यापार की दृष्टि से जीते हैं, हम सनातन धर्म के लोग परिवार की दृष्टि से जीते हैं।”

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