देश के मेवा कारोबारियों की इकाई नट्स एंड ड्राई फ्रूट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (NDFC) ने बुधवार को सरकार से प्रति किलोग्राम के आधार पर अखरोट के आयात शुल्क को युक्तिसंगत बनाने, जीएसटी को घटाकर पांच प्रतिशत करने और इस क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना शुरू करने का आग्रह किया। उद्योग निकाय के अनुसार, भारत का मेवे का बाजार 18 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है और इसके 2029 तक 12 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
कश्मीर में होता है देश का 90% अखरोट
देश में कुल अखरोट उत्पादन में 90 प्रतिशत से अधिक कश्मीर में होता है। इसे देखते हुए एनडीएफसी के अध्यक्ष गुंजन वी जैन ने मौजूदा 100 प्रतिशत आयात शुल्क के बावजूद स्थानीय किसानों की सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। मुंबई में 11-14 फरवरी को होने वाले मेवा इंडिया ट्रेड शो के दूसरे संस्करण की घोषणा करते हुए जैन ने कहा, ‘‘हमने प्रतिशत-आधारित कराधान के बजाय अखरोट पर प्रति किलो आयात शुल्क की मांग की है।’’ परिषद ने बादाम के 35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर के समान अखरोट के आयात शुल्क को 150 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित करने की सिफारिश की।
चिली और अमेरिका से होता है आयात
मौजूदा समय में भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए चिली और अमेरिका से अखरोट के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। संगठन ने आयात निर्भरता को कम करने के लिए अखरोट और अन्य मेवों के उत्पादन क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए सब्सिडी बढ़ाने का भी अनुरोध किया है। एनडीएफसी ने मेवों के स्वास्थ्य लाभों को ध्यान में रखते हुए और उन्हें अधिक किफायती बनाने के लिए उन पर माल एवं सेवा कर (GST) को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने की मांग की। आगामी मेवा इंडिया व्यापार शो में 50 से अधिक देशों के 300 से अधिक प्रदर्शकों के भाग लेने की उम्मीद है। इसमें 22 देशों ने भागीदारी की पुष्टि की है। भारत, अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेवा उपभोक्ता है।