‘मंदिर पर सरकार नहीं भक्तों का नियंत्रण, हर हिंदू परिवार में 3 बच्चे’, विश्व हिन्दू परिषद की बैठक में हुए ये फैसले


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विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक में समाज से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए। सबसे अहम फैसला मंदिरों को लेकर लिया गया। बैठक में शामिल प्रमुख संत इस बात पर सहमत हुए कि सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करके भक्तों के नियंत्रण में दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही हिंदू समाज में कम होती जन्म दर पर भी चिंता जाहिर की गई। बैठक में कहा गया कि हर हिंदू परिवार में कम से कम तीन बच्चे जरूर होने चाहिए।

विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक में देश के प्रमुख संत शामिल होते हैं। केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल विश्व हिन्दू परिषद की वैधानिक इकाई है। विश्व हिन्दू परिषद शुरुआत से ही केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के मार्गदर्शन में कार्य करता आया है।

बैठक में हुए अहम फैसले

  • देश भर में हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का जागरण अभियान शुरू हुआ है। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के बड़ा सभा से इस अभियान का शंखनाद हो चुका है। संतों ने आग्रह किया है कि सभी मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त किये जाएं, सरकारी नियंत्रण स्थापित करने वाले कानून हटाए जाएं और मंदिरों का प्रबंधन आस्था रखने वाले भक्तों को सौंपा जाए।
  • हिन्दू समाज के घटती जन्म दर का प्रमुख कारण हिन्दू जनसंख्या में हो रहा असंतुलन है। हिन्दू समाज के अस्तित्व की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण दायित्व के रूप में हर हिन्दू परिवार में कम से कम तीन बच्चों का जन्म होना चाहिए। मार्गदर्शक मण्डल के पूज्य संतों ने आह्वान किया है कि हिन्दू समाज की जनसंख्या को संतुलित बनाये रखने के लिए हिन्दू समाज के जन्म दर को बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • वक्फ बोर्ड के निरंकुश व असीमित अधिकारों को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार कानून सुधार अधिनियम लाने वाली है, उसका केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल स्वागत करती है और यह आह्वान करती है कि यह कानून पारित होना चाहिए तथा सभी दलों के सांसदों को इसमें सहयोग करना चाहिए।
  • 1984 के धर्म संसद से लेकर अयोध्या, मथुरा, काशी तीनों मन्दिरों की प्राप्ति के लिए पूज्य संत समाज, हिन्दू समाज, विश्व हिन्दू परिषद तथा संघ भी संकल्प बद्ध था, है और भविष्य में भी रहेगा।
  • भारत के उत्थान के लिए सामाजिक समरसता, पर्यावरण की रक्षा, कुटुम्ब प्रबोधन से हिन्दू संस्कारों का सिंचन तथा सामाजिक कुप्रथाओं का निर्मूलन, अपने स्व का आत्मबोध तथा अच्छे नागरिकों के कर्तव्य, ये राष्ट्रीय चारित्र्य के विकास के लिए समाज के लिए आवश्यक है। 





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