कितनी प्रभावशाली होगी ट्रंप की ‘Make in America’ रणनीति, भारत पर कैसे पड़ेगा असर


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Photo:THE WHITE HOUSE 45 ARCHIVED भारतीय कंपनियों को कैसे प्रभावित करेगी ट्रंप की रणनीति

पिछले साल अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से ही पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है। लेकिन ये उथल-पुथल उस दिन से और ज्यादा बढ़ गई, जिस दिन ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। अमेरिका को फिर से महान बनाने के वादे पर चुनाव जीतने के बाद ट्रंप ने अपने वादों पर काम करना शुरू कर दिया है। अमेरिकी मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर ट्रंप की रणनीति ने दुनिया के तमाम देशों के लिए सिरदर्द बढ़ा दिया है, जो खुद को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की होड़ में लगे हुए हैं। ट्रंप की नीतियों से भारत पर भी गहरा असर पड़ना तय है।

ट्रंप ने कंपनियों को दिया 15 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स रेट का प्रोपोजल

डोनाल्ड ट्रंप ने ‘मेक इन अमेरिका’ वाली स्ट्रेटजी पर काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने सीधे शब्दों में सभी देशों की सभी कंपनियों को धमकी दे डाली है। ट्रंप ने कहा है कि या तो अमेरिका में अपना मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाओ या फिर ताबड़तोड़ टैरिफ चुकाने के लिए तैयार रहो। ट्रंप ने दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में उन कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स रेट का प्रोपोजल दिया, जो अमेरिका में मैन्यूफैक्चरिंग करेंगी।

अमेरिका जाने से कतराएंगी कंपनियां

पिछले कुछ दशकों की बात करें तो ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग के मामले में एशिया टॉप पर रहा। खासतौर पर, इस मामले में चीन ने बाजी मारी। चीन के अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया में भी कई कंपनियों ने अपने मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाए। चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स ही नहीं बल्कि बड़े लेवल पर कपड़े और जूते भी बनाए जाने लगे। लेकिन चिप की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए अमेरिका अभी भी सबसे ऊपर है। ट्रंप की बातों में आकर कोई भी कंपनी जल्दबाजी करने से बचेगी क्योंकि अमेरिका लेबर रेट काफी ज्यादा है, जिसे कंपनियों को होने वाले प्रॉफिट में काफी बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है।

भारतीय कंपनियों को कैसे प्रभावित करेगी ट्रंप की रणनीति

पुरानी तकनीक, क्वालिटी के मामले में कंसिस्टेंट न होना और कठिन नियमों की वजह से भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग मुश्किलों का सामना करती है। भारत अपने कुल जीडीपी का सिर्फ 0.64% ही रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च करता है, लिहाजा अन्य देशों की तुलना में भारत इनोवेशन में काफी पीछे है। जबकि चीन अपनी जीडीपी का 2.4 प्रतिशत और अमेरिका 3.5 प्रतिशत रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च करता है। भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट, जीडीपी का 14-15% है, जिसके नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी 2022 द्वारा निर्धारित किए गए 9% तक घटने की उम्मीद है। केंद्र सरकारी की PLI स्कीम मैन्यूफैक्चरिंग को बेहतर बनाने में मदद तो कर रही है, लेकिन इसकी स्पीड काफी कम है।

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