Mahakumbh 2025: महाकुंभ के अंतिम अमृत स्नान पर्व बसंत पंचमी को लेकर प्रशासन इस बार पूरी तरह से मुस्तैद है। एडीजी भानु भास्कर स्वयं मेला क्षेत्र में भीड़ नियंत्रण व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं। मौनी अमावस्या को संगम नोज पर घटी भगदड़ की घटना के बाद शनिवार को पहली बार प्रयागराज आए मुख्यमंत्री ने घटनास्थल का निरीक्षण किया था और अस्पताल जाकर घायलों से मिलकर उनका हालचाल जाना था। इस बीच प्रशासन की ओर से पुख्ता तैयारी की गई है। किस पुल से कैसे जाना है इसके लिए भी बड़े होर्डिंग्स लगाए गए हैं।
किस पुल का करना है इस्तेमाल
- अरैल से झूंसी जाने के लिए पुल नम्बर 28 खुला है। संगम से झूंसी जाने के लिए पुल नम्बर 2,4, 8, 11, 13, 15, 17, 20, 22, 23 और 25 खुले हैं।
- वहीं झूंसी से संगम जाने के लिए श्रद्धालु पुल न. 16, 18, 21 और 24 का प्रयोग कर सकेंगे।
- वहीं झूंसी से अरैल जाने के लिए पुल नम्बर 27 व 29 खुले हैं।
श्रद्धालु इन मार्गों का प्रयोग कर आसानी से आवागमन कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने बसंत पंचमी स्नान के लिए तैयारियों की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को ‘‘शून्य त्रुटि’’ के साथ स्नान संपन्न कराने के निर्देश दिए थे। रविवार की सुबह एडीजी भानु भास्कर मेला प्राधिकरण भवन में स्थित ‘इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर’ (आईसीसीसी) पहुंचे जहां उन्होंने स्क्रीन पर पूरे मेला क्षेत्र, चौराहों और मेला प्रवेश स्थलों को देखा और घाट से भीड़ खाली कराने के लिए स्वयं लाउडस्पीकर पर निर्देश दिया। आईसीसीसी से माइक पर उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा, ‘‘कृपया घाट पर स्नान करने के बाद अनावश्यक ना बैठें और घाट खाली करें जिससे दूसरे श्रद्धालु स्नान कर सकें। घाट पर खाना पीना ना करें और दूसरी जगह जाकर खानपान करें।’’
सरकार ने बसंत पंचमी पर ‘ऑपरेशन इलेवन’ से भीड़ प्रबंधन की योजना बनाई है। सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज से सोमवार को एकल मार्ग की व्यवस्था लागू रहेगी। वहीं, त्रिवेणी के घाटों पर अत्यधिक दबाव रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा, तृतीय अमृत स्नान पर्व के लिए दो कंपनी आरएएफ और तीन कंपनी पीएसी का अतिरिक्त प्रबंध किया गया है। मेला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में पुलिस बल को भीड़ नियंत्रण पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
बसंत पंचमी स्नान पर्व के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़नी शुरू हो गई है और रविवार को शाम आठ बजे तक 1.29 करोड़ लोग गंगा और संगम में डुबकी लगा चुके हैं। वहीं, 13 जनवरी से अब तक कुल 34.90 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा स्नान कर चुके हैं। इस बीच, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि मान्यता है कि प्रयागराज के पांच कोस को संगम कहा जाता है। इसलिए श्रद्धालुओं को फाफामऊ से लेकर अरैल तक कहीं पर भी स्नान करने पर महाकुंभ का पुण्य प्राप्त होता है। उन्होंने कहा, “संगम क्षेत्र का सीमित क्षेत्रफल है। इसलिए सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि संगम क्षेत्र में अनावश्यक भीड़ ना बढ़ाएं।”