भोपाल: मध्य प्रदेश के भोपाल में भीख लेना और देना, दोनों ही जुर्म घोषित हो गया है। अब यहां भीख लेने वाले और देने वाले पर एफआईआर होगी। भोपाल के कलेक्टर ने भिक्षा वृत्ति पर प्रतिबंध के आदेश जारी किए हैं। नगर निगम ने भीख मांगने वालों के लिए इंतजाम किए हैं और भोपाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोलार स्थित आश्रय स्थल को भिक्षुक गृह बनाया है।
भोपाल के कलेक्टर ने क्या आदेश जारी किया?
भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सोमवार रात को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 183 के तहत भोपाल जिले के अंदर किसी भी प्रकार की भिक्षावृत्ति को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया है। भोपाल कलेक्टर के आदेश के मुताबिक, भिक्षावृत्ति एक सामाजिक बुराई है। भोपाल जिले में इस प्रकार की भिक्षावृत्ति में अन्य राज्यों और शहरों के व्यक्ति भी संलग्न रहते हैं, जिनमें कई व्यक्तियों का आपराधिक इतिहास भी रहता है।
भिक्षावृत्ति करने की आड़ में कई आपराधिक गतिविधियां भी संचालित की जाती हैं। ट्रैफिक सिग्नलों पर भिक्षावृत्ति के कारण दुर्घटना होने की भी आशंका रहती है। ऐसे में अब भिक्षुओं को भिक्षा स्वरूप कुछ भी देना या उनसे किसी प्रकार के समान को खरीदना प्रतिबंधित किया जाता है। जो व्यक्ति भिक्षुओं को भिक्षा स्वरूप कोई चीज प्रदान करता है या देता है या इनसे कोई सामान खरीदना है तो उसके विरुद्ध भी इस आदेश के उल्लंघन के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
भोपाल जिला कलेक्टर और नगर निगम ने बाकायदा ऐसे भिक्षुओं के लिए रैन बसेरा भी आरक्षित कर दिया है। कलेक्टर के आदेश के बाद भिक्षुओं को प्रतिस्थापित कर उनके रहने हेतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोलार स्थित आश्रय स्थल को भिक्षुक गृह के रूप में आरक्षित किया जाता है। राजधानी भोपाल में जगह-जगह गली और चौराहों पर मौजूद भिक्षुकों की धर पकड़ के लिए सीसीटीवी कैमरा के अलावा नगर निगम और प्रशासन भी सहयोग करेगा।
सीएम मोहन यादव ने हालही में कही थी बड़ी बात
इंडिया टीवी से बात करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बीते दिनों कहा था कि भिखारियों का होना ठीक नहीं है। हम पूरे प्रदेश को भिक्षुक मुक्त करेगें और गरीबी दूर करने के सारे तरीके आजमाएंगे।