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चीनी स्टार्टअप कंपनी DeepSeek के पहले AI मॉडल R1 ने लॉन्च होते ही पूरी दुनिया में हलचल पैदा कर दी है। एडवांस लैंग्वेज पर तैयार इस एआई मॉडल ने अमेरिकी टेक कंपनियों की टेंशन बढ़ा दी है। हालांकि, लॉन्च के साथ ही डीपसीक एआई को लेकर विवाद भी गहरा गया है। इस ऐप पर OpenAI के एआई मॉडल को क्लोन करने का आरोप भी लगा है। अब चीनी स्टार्टअप कंपनी के एआई टूल को कई देशों में बैन कर दिया गया है।
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DeepSeek AI पर सबसे पहले अमेरिकी राज्य टेक्सस ने प्रतिबंध लगाया है। टेक्सस के गवर्नर ने सरकारी डिवाइस में इस एआई टूल के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। इस टूल के जरिए यूजर्स का डेटा चीन भेजे जाने का आरोप है। सरकारी कर्मचारियों को इसे इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी गई है।
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इटली ऐसा पहला देश बन गया है, जिसने चीनी एआई टूल डीपसीक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इसके AI मॉडल R1 और V3 के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। इस टूल का डेटा चीन में स्टोर किया जाता है, जिसके खिलाफ इटली के डेटा प्रोटेक्शन एजेंसी में शिकायत की गई। इसके बाद डीपसीक के एआई मॉडल के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया गया।
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इटली के बाद चीन के पड़ोसी और विरोधी देश ताईवान ने भी इस एआई मॉडल पर प्रतिबंध लगा दिया है। ताईवान के डिजिटल अफेयर्स मिनिस्टर ने पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को इस एआई टूल के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। मिनिस्टर का कहना है कि यह देश के क्रिटिकल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए खतरा हो सकता है।
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टेक्सस के अलावा अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने भी चीनी एआई मॉडल के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है। वहीं, अमेरिकी कांग्रेस, अमेरिकी नेवी, पेंटागन समेत सरकारी एजेंसियों ने डीपसीक के एआई टूल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इस एआई टूल के जरिए यूजर्स का डेटा चीन भेजे जाने की आशंका है, जिसे लेकर यह बड़ा कदम उठाया गया है।
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हालांकि, अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी Perplexity AI ने डेटा सिक्योरिटी को लेकर चीनी एआई टूल को क्लीन चिट दिया है। परप्लेक्सिटी एआई ने डीपफेक के एआई मॉडल को इंटिग्रेट कर दिया है। परप्लेक्सिटी के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने कहा कि परप्लेक्सिटी एआई के यूजर्स का डेटा अमेरिका और यूके में बने डेटा सेंटर में ही स्टोर किया जाएगा। इसके लिए कंपनी डेटा सेंटर को एक्सपेंड करने की योजना पर काम कर रही है।