6 अन्य भाषाओं में होगा लोकसभा की कार्यवाही का ट्रांसलेशन।
नई दिल्ली: सदन की कार्यवाही के दौरान इसकी भाषा का रुपांतरण 6 और भाषाओं में किया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। ओम बिरला ने कहा कि अब संस्कृत, उर्दू तथा मैथिली समेत छह और भाषाओं में सदन की कार्यवाही का भाषा रूपांतरण होगा। सदन की कार्यवाही का भाषा रूपांतरण पहले अंग्रेजी और हिंदी के अलावा 10 क्षेत्रीय भाषाओं में हो रहा था।
इन छह भाषाओं में होगा ट्रांसलेशन
ओम बिरला ने कहा कि उनका प्रयास है कि मान्यताप्राप्त सभी 22 भाषाओं में सदन की कार्यवाही का रूपांतरण एक साथ हो। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन की उपलब्धता होने के साथ ही यह सुनिश्चित कर दिया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘अब बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, संस्कृत और उर्दू में सदन की कार्यवाही का रूपांतरण होगा।’’ उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत की संसद ही एकमात्र विधायी संस्था है जहां एकसाथ इतनी भाषाओं में कार्यवाही का रूपांतरण हो रहा है।
द्रमुक सांसद ने संस्कृत पर जताई आपत्ति
द्रमुक सांसद दयानिधि मारन ने संस्कृत भाषा में कार्यवाही के रूपांतरण के फैसले पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़े के मुताबिक देश में सिर्फ 73 हजार लोग संस्कृत बोलते हैं तो फिर करदाताओं के पैसे को क्यों बर्बाद किया जा रहा है। बिरला ने उनकी आपत्ति को खारिज करते हुए कहा, ‘‘आप किस देश में रह रहे हैं? भारत की मूल भाषा संस्कृत रही है। आपको संस्कृत पर आपत्ति क्यों हुई? हम तो सभी 22 भाषाओं में रूपांतरण की बात कर रहे हैं।’’
भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग
इसके अलावा भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग भी लोकसभा में उठाई गई। सदन में शून्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के सलेमपुर से सपा सदस्य रमाशंकर राजभर ने कहा कि भोजपुरी भाषा दुनिया के आठ देशों में बोली जाती है और यह पूर्वांचल के घर-घर में बोली जाने वाली भाषा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। (इनपुट- पीटीआई)
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