रेखा गुप्ता
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही सभी विभागों में बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री बनने के एक दिन बाद सभी मंत्रालयों के अस्थायी स्टाफ की छुट्टी कर दी है। अब इन विभागों में नए लोगों की भर्ती की जाएगी। सभी मंत्रालयों में ऐसी नियुक्तियां अस्थायी आधार पर की जाती हैं और मंत्री का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही उनके सहयोगी स्टाफ का कार्यकाल भी खत्म हो जाता है।
इसके साथ ही सरकार ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके मूल विभाग में लौटने का निर्देश दिया है। पिछली सरकार ने कई कर्मचारियों और अधिकारियों को अलग-अलग विभागों में तैनात कर दिया था।
आदेश में क्या?
सर्विसेज विभाग के आदेश में कहा गया है, “विभिन्न विभागों, संगठनों, निगमों, बोर्डों, अस्पतालों आदि के सभी अधिकारी, कर्मचारी और कर्मचारी जो मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालयों में ‘डायवर्टेड क्षमता में तैनात’ हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से ड्यूटी से मुक्त माना जाएगा और उन्हें तत्काल प्रभाव से अपने संबंधित विभागों, बोर्डों, स्वायत्त निकायों, निगमों, अस्पतालों आदि को रिपोर्ट करना होगा।”
आदेश में कहा गया है, “मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय जीएडी को नए प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। हालांकि, दानिक्स, डीएसएस और स्टेनो कैडर के नियमित कर्मचारी अगले आदेश तक नवनियुक्त मुख्यमंत्री, मंत्रियों के अधीन अपने-अपने कार्यालयों में काम करना जारी रखेंगे।”
रेखा गुप्ता के बड़े फैसले
गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ घंटों बाद रेखा गुप्ता ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक की। इस दौरान उन्होंने दो अहम फैसले लिए- 5 लाख रुपये के टॉप-अप के साथ आयुष्मान भारत योजना को लागू करना और विधानसभा की पहली बैठक में 14 लंबित सीएजी रिपोर्टों को पेश करना। इसके बाद उन्होंने अपने मंत्रियों के विभाग भी तय किए। दूसरे दिन, गुप्ता और उनकी मंत्रिपरिषद शहर में सड़कों और जलापूर्ति की स्थिति की समीक्षा करने के लिए पीडब्ल्यूडी और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अधिकारियों के साथ बैठक करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आज कैबिनेट पीडब्ल्यूडी और जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक करेगी और सभी कार्यों (विभागों से संबंधित) की समीक्षा करेगी। गड्ढों वाली सड़कों के मुद्दे को गंभीरता से उठाया जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र की प्रमुख योजना को लागू करेगी। यह भाजपा का चुनावी वादा था। बीजेपी ने योजना को लागू न करने के लिए आप सरकार पर निशाना साधा था।