अमेरिका में निवेशकों की पहली पसंद एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) है। जनवरी 2025 में, अमेरिकी ETF में 90.3 अरब डॉलर का निवेश आया, जो अब तक का सबसे अधिक है। वहीं भारत की बात करें कि तो निवेशकों के बीच म्यूचुअल फंड का क्रेज है। आखिर ऐसा क्या है कि अमेरिका में लोग ईटीएफ में जमकर पैसा लगाते हैं। वहीं, भारत में म्यूचुअल फंड में। जीरोधा के सीईओ नितिन कामथ ने इसका जवाब दिया है। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या बताया है।
क्या वजह है कि अमेरिका में ईटीएफ पॉपुलर है?
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में, कामथ ने बताया कि अमेरिका में ईटीएफ म्यूचुअल फंड के मुकाबले ईटीएफ पॉपुलर होने की वजह टैक्स है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी म्यूचुअल फंड पास-थ्रू व्हीकल के रूप में काम करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे यूनिट धारकों को पूंजीगत लाभ वितरित करते हैं, जिन्हें फिर उन लाभों पर टैक्स का भुगतान करना होता है। यह स्ट्रक्चर म्यूचुअल फंडों को कम टैक्स सेविंग प्रोडक्ट बनाता है। वहीं दूसरी ओर, ETFs ‘इन-काइंड’ क्रिएशन और रिडेम्प्शन मैकेनिज्म का उपयोग करते हैं। यह प्रक्रिया ETF निवेशकों को लाभ को अधिक कुशलता से प्रबंधित करने में मदद करती है, जिससे निवेशकों को टैक्सेबल पूंजीगत लाभ के वितरण को रोका जा सकता है। इसलिए म्यूचुअल फंड के मुकाबले ईटीएफ एक बेहतर टैक्स सेविंग और कमाई वाला इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट बन जाता है।
भारतीय में क्या है स्थिति?
कामथ ने कहा कि भारत में, म्यूचुअल फंड और ईटीएफ दोनों ही यूनिट धारकों को सीधे टैक्स बोझ नहीं डालते हैं। यह पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) और श्रेणी 3 वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) से अलग है, जो टैक्स को पास करते हैं। इसके बावजूद, भारत में ईटीएफ में निवेशकों की रुचि बढ़ रही है, खासकर इंडेक्स-आधारित निवेश में। डेटा निवेशकों की प्राथमिकताओं में बदलाव दिखाता है। निवेशक लागत-कुशल, निष्क्रिय निवेश विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं।