भारतीय शेयर बाजार अबतक 8 बार हुआ क्रैश, निवेशक हैं तो इतिहास से जरूर सीखें ये बातें


Stock Market Crash

Photo:FILE शेयर बाजार

Stock Market Crash History: भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट का ​दौर जारी है। निवेशकों के लाखों करोड़ डूब गए हैं। आगे भी बाजार में तेजी लौटेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि भारतीय बाजार क्रैश हुआ है। इससे पहले भी कई बार स्टॉक मार्केट क्रैश कर चुका है। अगर भारतीय शेयर बाजार के इतिहास पर नजर डालें तो अबतक बाजार में 8 बार बड़ी गिरावट आई है। अगर आप शेयर बाजार निवेशक हैं तो इतिहास से सीख लेकर अपनी रणनीति बना सकते हैं। आइए जानते हैं कि कब-कब भारतीय शेयर बाजार धड़ाम हुआ और उसके बाद फिर रिकवरी कब लौटी? 

1. हर्षद मेहता घोटाला (1992)

1992 में शेयर बाजार में बड़ी गिरावट हर्षद मेहता सिक्योरिटी घोटाले के कारण आई थी। हर्षद मेहता एक स्टॉकब्रोकर थे। मेहता ने धोखाधड़ी वाले फंड का इस्तेमाल करके शेयर की कीमतों में हेरफेर किया था। इसके बाद सेंसेक्स अपने रिकॉर्ड हाई से 56 टूट गया। 1992 में सेंसेक्स 4,467 से गिरकर अप्रैल 1993 तक 1,980 पर आ गया। इस गिरावट के बाद बाजार को संभलने में 2 साल लग गए। 

2. एशियाई वित्तीय संकट (1997)

1997 में शेयर बाजार में बड़ी गिरावट एशियाई वित्तीय संकट के कारण हुई। इसके चलते दिसंबर 1997 में, सेंसेक्स 4,600 अंक से 3,300 अंक तक यानी 28 प्रतिशत से अधिक गिर गया। शेयर बाजार को उबरने और नई ऊंचाइयों को छूने में एक साल लग गया।

3. डॉट-कॉम बबल बर्स्ट (2000)

टेक बबल बर्स्ट से साल 2000 में शेयर बाजार में भारी गिरावट आई। फरवरी 2000 में सेंसेक्स 5,937 से गिरकर अक्टूबर 2001 में 3,404 पर आ गया, यानी 43 प्रतिशत की गिरावट आई। निवेशकों द्वारा टेक से दूसरे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के बाद शेयर बाजार में धीरे-धीरे सुधार हुआ।

4. लोकसभा चुनाव (2004)

2004 में यूपीए गठबंधन की अप्रत्याशित जीत ने निवेशकों में घबराहट पैदा कर दी थी। 17 मई, 2004 को सेंसेक्स में 15 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे बाजार में अत्यधिक बिकवाली के कारण कारोबार रुक गया। हालांकि, अगले 2-3 सप्ताह के भीतर बेंचमार्क इंडेक्स इंट्राडे चुनाव झटके से उबर गया।

5. वैश्विक वित्तीय संकट (2008)

अमेरिका में लेहमैन ब्रदर्स के पतन और सबप्राइम मॉर्गेज संकट ने वैश्विक मंदी को जन्म दिया। जनवरी 2008 में 21,206 के अपने शिखर से अक्टूबर 2008 तक सेंसेक्स 60 प्रतिशत से अधिक गिरकर 8,160 पर आ गया। सरकार के प्रोत्साहन उपायों और वैश्विक तरलता ने 2009 तक वापसी में मदद की।

6. वैश्विक मंदी (2015-2016)

चीन के बाजार में गिरावट, कमोडिटी की कीमतों में गिरावट और घरेलू गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के कारण शेयर बाजार में गिरावट आई। जनवरी 2015 में सेंसेक्स 30,000 से फरवरी 2016 में 22,951 पर आ गया। इस तरह सेंसेक्स 24 प्रतिशत गिर गया। गिरावट के बावजूद, भारत की आर्थिक मजबूती के कारण सेंसेक्स 12-14 महीनों के भीतर ठीक हो गया।

7. कोविड-19 की गिरावट (मार्च 2020)

कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया भर में लॉकडाउन और आर्थिक अनिश्चितता के कारण मार्च 2020 में शेयर बाजार में गिरावट आई। सेंसेक्स में 39 प्रतिशत की गिरावट आई, जो जनवरी 2020 में 42,273 से गिरकर मार्च 2020 में 25,638 पर आ गया। सरकार की आक्रामक राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों के कारण 2020 के अंत तक अर्थव्यवस्था में तकनीकी मंदी के बावजूद वी-आकार की रिकवरी हुई।

8. ट्रेड वॉर और आर्थिक सुस्ती (2025)

मौजूदा समय में भारतीय बाजार में बड़ी गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ बढ़ाने के ऐलान और भारतीय जीडीपी में सुस्ती की आशंका के कारण आई है। इसके अलाव रुपया कमजोर होना, विदेशी निवेशकों की बिकवाली भी प्रमुख करण है। बीते पांच महीने के दौरान सेंसेक्स 11.54 प्रतिशत टूट चुका है, जबकि निफ्टी 12.65 प्रतिशत गिरा है। बाजार में इतनी बड़ी गिरावट से निवेशकों के करीब 92 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं। 

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