Explainer: अब्दुल ने कैसे ली आतंक की ट्रेनिंग? कहां रची गई राम मंदिर पर हमले की साजिश? जानें हर डिटेल


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Image Source : INDIA TV
गुजरात ATS और फरीदाबाद STF की गिरफ्त में अब्दुल रहमान।

नई दिल्ली: गुजरात ATS और फरीदाबाद STF ने अयोध्या के राम मंदिर पर हमले की बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया है। बता दें कि गुजरात ATS ने हरियाणा के फरीदाबाद के पाली गांव से एक संदिग्ध आतंकी अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया है। एटीएस ने अब्दुल रहमान के पास से 2 हैंड ग्रेनेड बरामद किए हैं। बताया जा रहा है कि इन्हीं हैंड ग्रेनेड से वह राम मंदिर पर हमला करने वाला था। फिर सवाल यह उठा कि अब्दुल रहमान को आखिर आतंक की ये खतरनाक ट्रेनिंग कहां से मिली? मंदिर पर हमले की साजिश कहां रची गई? पूछताछ में अब्दुल रहमान ने एक-एक चीज उगल दी।

दुकान पर बैठकर ही आतंक की ट्रेनिंग ले रहा था अब्दुल

गुजरात ATS की पूछताछ में आतंकी अब्दुल रहमान ने बताया है कि वह 10 महीने पहले ISI के इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस मॉड्यूल से जुड़ा था। आतंकियों ने उसे ऑनलाइन ट्रेनिंग दी थी और वह दहशत फैलाने का पाठ वीडियो कॉलिंग के जरिए सीखता था। वह मिल्कीपुर में अपनी दुकान पर बैठकर ही आतंक की ट्रेनिंग ले रहा था। पूछताछ में पता चला कि ट्रेनिंग के दौरान अब्दुल रहमान को कई टास्क भी दिए गए। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इस मॉड्यूल में अब्दुल रहमान के अलावा और लोग भी शामिल हो सकते हैं।

वीडियो कॉल पर ही रची गई राम मंदिर पर हमले की साजिश

अयोध्या के राम मंदिर पर हमले की साजिश भी वीडियो कॉल पर ही रची गई। उसके मोबाइल में कई धार्मिक स्थलों के फोटो और वीडियो भी मिले हैं। वह दिल्ली में मरकज जाने की बात कह कर 5 दिन पहले अपने घर मिल्कीपुर से फरीदाबाद के लिए निकला था। दिल्ली पहुंचने के बाद ISI के हैंडलर ने उसे हैंड ग्रेनेड दिए थे और इन्हीं हैंड ग्रेनेड से आतंकी अब्दुल रहमान राम मंदिर पर हमला करने वाला था। हैंड ग्रेनेड लेने के बाद वह आतंकी संगठन के अगले आदेश के आने का इंतजार कर रहा था, लेकिन इससे पहले की वजह साजिश को अंजाम दे पाता, गुजरात ATS के हत्थे चढ़ गया।

अब्दुल रहमान ने खंडहरनुमा घर में छिपा रखे थे हैंड ग्रेनेड

बता दें कि अब्दुल रहमान को गुजरात ATS और फरीदाबाद STF ने जिस घर से गिरफ्तार किया है वह टिन शेड का बना हुआ है। यह घर रोड के बेहद करीब है और गांव के बाहर बना हुआ है। खंडहरनुमा इस घर के और कोई नहीं रहता था। अब्दुल रहमान ने इसी खंडहरनुमा घर में हैंड ग्रेनेड छिपा कर रखे थे। बताया जा रहा है कि अब्दुल गांव में अपना नाम बदलकर रह रहा था। उसने लोगों को अपना नाम शंकर बता रखा था। गांव के लोगों का कहना है कि अब्दुल रहमान को इससे पहले किसी ने यहां नहीं देखा।

राम मंदिर से सिर्फ 36 किमी दूर है अब्दुल रहमान का घर

अब्दुल रहमान अयोध्या के मिल्कीपुर का रहने वाला है और उसका घर राम मंदिर से सिर्फ 36 किलोमीटर दूर है। उसने कई बार राम मंदिर और उसके आसपास के इलाके की रेकी भी की थी और इसके बाद हैंड ग्रेनेड लेने के लिए दिल्ली गया था। सूत्रों की मानें तो अब्दुल रहमान काफी वक्त से गुजरात ATS की रडार पर था और लगातार उसके मूवमेंट पर नजर रखी जा रही थी। उसे राम मंदिर पर हमले के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने ट्रेंड किया था। ISI के ही हैंडलर ने उसे 2 हैंड ग्रेनेड दिए गए थे जिसे वह अयोध्या लेकर जाना चाहता था।

मौलाना उस्मान हजरत के संपर्क में आया था अब्दुल रहमान

करीब 6 महीने पहले अब्दुल रहमान गांव से अयोध्या शहर पहुंचा था। वहां अयोध्या कैंट के पुरानी सब्जी मंडी इलाके में रहने वाले मौलाना उस्मान हजरत के संपर्क में आया था। मौलाना के संपर्क में आने के बाद अब्दुल जमात के लिए भी गया था। गुजरात एटीएस मौलाना उस्मान हजरत की भी कुंडली खंगाल रही है। ATS ने अब्दुल रहमान के पास से जो मोबाइल बरामद किया है, उसमें उसके आतंकी संगठन से जुड़े होने के सबूत मिले हैं। आतंकी संगठन के कहने पर अब्दुल ने राम मंदिर और उसके आस-पास की रेकी की थी और वीडियो बनाया था।

अब्दुल के आतंकवाद में शामिल होने से परिजनों का इनकार

अब्दुल रहमान के परिवारवाले उसके किसी आतंकी साजिश में शामिल होने से इनकार कर कर हैं। उनका कहना है कि वह जमात में जाने की बात कह कर दिल्ली गया था, उसके बाद उन्हें उसकी कोई खबर नहीं मिली है। इससे पहले भी पिछले साल अब्दुल मरकज में शामिल होने के लिए दिल्ली और दूसरे शहर गया था। अब्दुल के पिता अबू बकर का कहना है कि वह पिछले साल जुलाई में मरकज के लिए दिल्ली गया था, वहां से विशाखापट्टनम गया फिर दिल्ली आ गया। इसके बाद वह दिल्ली से पंजाब गया और वहां कुछ दिन रहने के बाद फैजाबाद लौट आया। नंबवर से वह फैजाबाद में ई रिक्शा चला रहा था।

6 महीने से बदल गया था अब्दुल रहमान का व्यवहार

बताया जा रहा है कि पिछले करीब 6 महीने से अब्दुल का व्यवहार बदल गया था। वह दिन में ई-रिक्शा चलाता और शाम को गांव के 4-5 लड़कों के साथ घूमता रहता था। अब्दुल हाईस्कूल तक पढ़ा हुआ है और पिछले 5 साल से ई-रिक्शा चलाने का काम काम करता था। वह अयोध्या के कुचेरा बाजार से किन्हूपुर तक ई-रिक्शा चलाता था। गुजरात एटीएस अब ये पता करने के जुटी है कि अब्दुल रहमान आतंकी ग्रुप के संपर्क में कैसे आया, और पिछले साल 5 महीने तक अलग-अलग मरकज में रहने के दौरान वह किस किस से मिला और इस साजिश में उसके साथ कौन-कौन शामिल है।





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