
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी
हरियाणा सरकार ने प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत दी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने किसानों को राहत प्रदान करते हुए रबी फसलों के लिए औसत उत्पादन सीमा को बढ़ा दिया है। इससे किसान अब एमएसपी पर अधिक फसल बेच सकेंगे। सीएम ने कहा कि इस फैसले के बाद अब किसानों को प्रति एकड़ ज्यादा पैदावार होने से फसल बेचने में परेशानी नहीं आएगी।
कब से होगी लागू?
हरियाणा सरकार ने बुधवार को कहा कि उन्होंने 2024-25 के लिए रबी फसलों के लिए प्रति एकड़ औसत उत्पादन की सीमा बढ़ा दी है, जिससे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अधिक फसल बेच सकेंगे। यह राहत संशोधित सीमा 2025-26 के रबी खरीद सीजन में लागू हो जाएगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस कदम से सीधे तौर पर उन किसानों को फायदा होगा, जो पहले से तय सीमा से अधिक पैदावार के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अपनी फसल नहीं बेच पा रहे थे। सरकार द्वारा गठित समिति ने रबी फसलों के लिए उत्पादन सीमा में बदलाव की सिफारिश की थी, इसके बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बढ़ी हुई सीमा को मंजूरी दे दी है। सीएम का यह फैसला 5 फसलों पर लागू होगा, जिसका फायदा किसानों को होगा।
किन फसलों पर मिलेगा फायदा
सरकार ने जौ के लिए औसत उत्पादन सीमा यानी एवरेज प्रोडक्शन कैप्स 15 क्विंटल से बढ़ाकर 16 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी गई है, सूरजमुखी के लिए 8 क्विंटल से बढ़ाकर 9 क्विंटल प्रति एकड़ और चने के लिए इसे 5 क्विंटल से बढ़ाकर 6 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया है।
क्या गेहूं में भी मिलेगा फायदा?
इसके अलावा समिति ने मसूर/मसूर के लिए भी औसत उत्पादन अनुमान 4 क्विंटल प्रति एकड़ तय किया है और ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए यह सीमा 3 क्विंटल से बढ़ाकर 4 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी गई है। बता दें कि इससे पहले दाल के लिए कोई सीमा तय नहीं की गई थी। वहीं, गेहूं की उत्पादन सीमा 25 क्विंटल प्रति एकड़ ही रहेगी, इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। बयान में कहा गया, ये बदलाव औसत पैदावार में बढ़ोतरी के जवाब में किए गए, और इस फैसले से किसानों को अधिक लाभ होगा और उन्हें अधिक आर्थिक लाभ भी मिलेगा।
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