
हाथरस भगदड़
लखनऊ: हाथरस भगदड़ को लेकर न्यायिक जांच की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में पेश की। इस रिपोर्ट में अनुमान से ज्यादा भीड़, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, आयोजकों के मिस मैनेजमेंट के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन के चूकों का भी उल्लेख है। इस भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। सत्संग में 80 हज़ार लोगों के शामिल होने को लेकर अनुमति मांगी गई थी लेकिन करीब 2.5 लाख से 3 लाख के आसपास भीड़ थी। प्रशासन ने बिना किसी जांच पड़ताल के इस आयोजन की अनुमति दे दी थी।
आयोजकों और सेवादारों पर छोड़ी सारी जिम्मेदारी
यातायात के नियमो का पालन नही हुआ,सड़क पर गाड़ियों के खड़े होने से जाम लगा। लोगों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की थी लेकिन पुलिस प्रशासन ने सत्संग में आए लोगों की सुरक्षा, भीड़ कंट्रोल करने जैसे सब काम आयोजकों और सेवादारों पर छोड़ दिये। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि भोले बाबा के चरण रज लेने की कोशिश से भीड़ बेकाबू हो गई जो भगदड़ की मुख्य वजह बनी। हालानी जांच रिपोर्ट ने साजिश के पहलू से इनकार नही किया है ।सत्संग में ज़हरीले स्प्रे की वजह से भगदड़ की थ्योरी को आयोग ने नकार दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में लोगों में अंध विश्वास पैदा करने, कुरीतियों को बढ़ावा देने, भोले भाले लोगों को बहकाने का काम किया जा रहा था। जांच रिपोर्ट में लिखा है — सत्संग स्थल पर भूत प्रेत खेल रहे थे जिससे भोले बाबा के वार्तालाप करने व सत्संग में आते जाते ही भूत प्रेत, बीमारी आदि ठीक हो जाने की बात कही जा रही थी। रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि सत्संग में हो रहे क्रिया कलापों को छुपाने के लिए पूरे कार्यक्रम से पुलिस और प्रशासन को दूर रखा गया।
नारायण साकार हरि उर्फ़ भोले बाबा के सत्संग में 121 लोगों की जान चली गई थी जिसके बाद योगी सरकार ने न्यायिक जांच आयोग बनाया था। रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव आयोग के अध्यक्ष और रिटायर्ड आईएएस हेमंत राव और रिटायर्ड आईपीएस भावेश कुमार सिंह आयोग के सदस्य थे ।