भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। इस समझौते के तहत चमड़ा, कपड़ा और आभूषण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में आयात शुल्क में रियायत से अमेरिका को निर्यात बढ़ेगा। एक्सपर्ट्स ने यह उम्मीद जताते हुए कहा कि इसके बदले में अमेरिका पेट्रो रसायन उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरणों और बादाम तथा क्रैनबेरी जैसे कुछ कृषि वस्तुओं के लिए टैरिफ में कटौती की मांग कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सेब और सोया जैसी कृषि वस्तुओं की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए उनमें टैरिफ कटौती मुश्किल हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की वाशिंगटन यात्रा के दौरान, भारत और अमेरिका ने 2030 तक दोतरफा व्यापार को दोगुना करके 500 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंचाने की घोषणा की थी। इस मौके पर 2025 तक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण पर बातचीत करने की प्रतिबद्धता भी जताई गई।
भारत को हो सकता है फायदा
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा, ”यदि अमेरिका प्रस्तावित समझौते के तहत टैरिफ में कटौती करता है तो भारत को वाहन कलपुर्जा, परिधान, फुटवियर, आभूषण, प्लास्टिक और स्मार्टफोन जैसे सेक्टर्स में लाभ हो सकता है। इन सेक्टर्स में भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में चीन के साथ कंपटीशन कर सकते हैं, क्योंकि चीनी सामान अमेरिकी बाजार में उच्च टैरिफ का सामना कर रहे हैं।”
चीन के कई सामानों पर लगता है 45% टैरिफ
उन्होंने कहा कि चीन के कुछ सामान अमेरिकी बाजार में 45 प्रतिशत तक टैरिफ का सामना करते हैं और इन क्षेत्रों में भारत उत्पादन बढ़ा सकता है और अवसरों का लाभ उठा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि अमेरिकी वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाने वाले देशों पर दो अप्रैल से जवाबी टैरिफ लागू होंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता में तेजी आ सकती है। धर ने कहा कि दोनों देशों के अधिकारियों के लिए समझौते को अंतिम रूप देना बहुत कठिन होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका महंगी बाइक, यात्री कारों और इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ ही सोया और मक्का जैसे कृषि उत्पादों पर टैरिफ घटाने की मांग कर सकता है।
भारत के साथ व्यापार घाटे को संतुलित करना चाहता है अमेरिका
धर ने कहा, ”अमेरिका की मुख्य चिंता भारत के साथ व्यापार घाटे को संतुलित करना है और इसके लिए वे भारतीय बाजारों में अपने निर्यात को बढ़ाना चाहते हैं।” दवा क्षेत्र के निर्यातकों ने कहा कि भारतीय दवा निर्यात पर जवाबी टैरिफ लगाने के अमेरिका के फैसले से मुख्य रूप से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा। हालांकि, घरेलू उद्योग सतर्क रूप से आशावादी बने हुए हैं। शोध संस्थान जीटीआरआई ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका के प्रस्तावित जवाबी टैरिफ के जवाब में ‘शून्य के लिए शून्य’ शुल्क रणनीति की पेशकश करनी चाहिए। उसने कहा कि ऐसा करना पूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने से कम नुकसानदायक होगा। जीटीआरआई ने सरकार को सुझाव दिया कि ‘शून्य के लिए शून्य’ रणनीति के तहत ऐसी उत्पाद श्रेणियों की पहचान करनी चाहिए, जहां घरेलू उद्योगों और कृषि को नुकसान पहुंचाए बिना अमेरिकी आयातों के लिए आयात शुल्क खत्म किया जा सकता है। इसके बदले में, अमेरिका को भी समान संख्या में वस्तुओं पर शुल्क हटा देना चाहिए।
(पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)