
रंगभरी एकादशी
Rangbhari Ekadashi 2025: एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। लेकिन रंगभरी एकादशी के दिन विष्णु जी के साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करने का विधान है। रंगभरी एकादशी हर साल होली से पहले फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन काशी यानी बनारस में गुलाल, अबीर और फूलों से होली खेली जाती है। रंगभरी एकादशी के दिन काशी विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है और हर शिव मंदिर में खूब अबीर-गुलाल उड़ाया जाता है। तो आज काशी में रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी। रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी अन्य धार्मिक मान्यताओं के बारे में।
रंगभरी एकादशी क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती का गौना कराकर काशी यानी बनारस लेकर आए थे। कहते हैं कि महादेव और माता पार्वती के काशी आने की खुशी में देवता-गणों ने दीप-आरती के साथ फूल, गुलाल और अबीर उड़ाकर उनका स्वागत किया था। तब से ही फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भोलेनाथ और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और गुलाल-अबीर उड़ाकर होली खेली जाती है। इस दिन को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती के साथ काशी आते हैं और देवी मां को नगर भ्रमण कराते हैं।
रंगभरी एकादशी का महत्व
रंगभरी एकादशी के दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ और पूरे शिव परिवार, यानि माता पार्वती, श्री गणपति भगवान और कार्तिकेय जी का विशेष रूप से साज-श्रृंगार किया जाता है। इसके अलावा भगवान को हल्दी, तेल चढ़ाने की रस्म निभाई जाती है और भगवान के चरणों में अबीर-गुलाल चढ़ाया जाता है। साथ ही शाम के समय भगवान की रजत मूर्ति यानि चांदी की मूर्ति को पालकी में बिठाकर बड़े ही भव्य तरीके से रथयात्रा निकाली जाती है। रंगभरी एकादशी के पर्व को मनाने और बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए काशी में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। धार्मिक मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन शिव-शक्ति की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है। साथ ही विवाहित महिलाओं के अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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