
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नारे लिखी टी-शर्ट पहनकर आने पर आपत्ति जताई।
नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को सदन की बैठक शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों को नारे लिखी टी-शर्ट पहन कर न आने को कहा। विपक्षी सदस्यों को हिदायत देते हुए उन्होंने लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी। सदन की कार्यवाही शुरू होने पर बिरला ने विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘सदन मर्यादा और गरिमा से चलता है। मैं कुछ दिनों से देख रहा हूं कि सदस्य गण सदन की गरिमा को भंग कर रहे हैं और सदन की नियम- प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रहे हैं।’
‘…तो सदन की कार्यवाही नहीं चलेगी’
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा,‘नियम संख्या 349 आपको पढ़ना चाहिए। इसमें सदन की प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए और कैसा आचरण होना चाहिए, उस बारे में लिखा हुआ है।’ बिरला ने विपक्षी सदस्यों को आगाह करते हुए कहा,‘अगर आप टी-शर्ट पहन कर यहां (सदन में) आएंगे, नारे लगाते आएंगे, नारे लिखकर आएंगे तो सदन की कार्यवाही नहीं चलेगी। अगर आप टी-शर्ट नहीं पहन कर आएंगे, तभी सदन की कार्यवाही चलेगी। चाहे कोई भी बड़ा नेता हो, सदन की मर्यादा और परंपराओं का उल्लंघन करेगा तो लोकसभा अध्यक्ष होने के नाते उसे बरकरार रखने की जिम्मेदारी मेरी है।’
क्या लिखा था विपक्षी सदस्यों की टी-शर्ट पर?
लोकसभा स्पीकर ने अपनी सीट पर खड़े होकर शोरगुल कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा कि यदि वे सदन की कार्यवाही नहीं चलने देना चाहते तो बाहर चले जाएं। इसके साथ ही बिरला ने सदन की कार्यवाही गुरुवार दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। बता दें कि DMK सांसद टी शिवा संसद में एक टी-शर्ट पहनकर पहुंचे, जिस पर लिखा था, ‘निष्पक्ष परिसीमन, तमिलनाडु लड़ेगा, तमिलनाडु जीतेगा।’ उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु निष्पक्ष परिसीमन पर जोर दे रहा है। इससे करीब 7 राज्य प्रभावित होंगे, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसलिए हम निष्पक्ष परिसीमन की मांग को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रख रहे हैं।’
क्या होता है परिसीमन, क्यों उठा ये मुद्दा?
परिसीमन संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को जनसंख्या परिवर्तन के अनुसार पुनः परिभाषित करने की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में लगभग समान संख्या में लोग रहते हों। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो परिसीमन सीधे आकार से जुड़ा हुआ है। बड़ी आबादी वाले राज्यों को संसद में कम आबादी वाले राज्यों की तुलना में ज्यादा प्रतिनिधि मिलते हैं। दक्षिण के कई राज्यों की चिंता ये है कि उत्तर भारत के ज्यादा आबादी वाले राज्यों को परिसीमन में ज्यादा सीटें मिलेंगी जिससे संसद में उनका प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। (भाषा/ANI)