
नागपुर में 17 मार्च को जमकर हिंसा और आगजनी हुई थी।
नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में 17 तारीख को हुए दंगों में घायल 38 साल के इरफान अंसारी की शनिवार को मौत हो गई। बता दें कि हिंसा के दिन उन्हें गंभीर अवस्था में रेलवे स्टेशन के पास घायल पाया गया था। वह नागपुुर रेलवे स्टेशन से इटारसी जाने वाली ट्रेन पकड़ने गए थे। घायल अवस्था में पाए जाने के बाद पुलिस ने उन्हें तुरंत इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां वे पिछले 6 दिनों से वेंटिलेटर पर थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज सुबह इरफान अंसारी जिंदगी की जंग हार गए।
क्या करते थे इरफान अंसारी?
17 मार्च को इरफान अंसारी नागपुर रेलवे स्टेशन से एक बजे इटारसी जाने वाली ट्रेन पकड़ने के लिए निकले थे। वह सोमवार को रात के करीब 11 बजे अपने घर से निकले थे। बड़े नवाज नगर के निवासी इरफान अंसारी ‘वेल्डर’ का काम करते थे। इरफान के भाई इमरान ने उनकी हालत के बारे में बताया था कि इरफान के सिर में गंभीर चोटें आई हैं और एक पैर ‘फ्रैक्चर’ हो गया है। सिर में आई गंभीर चोटों की वजह से इरफान को शुरू से ही वेंटिलेटर में रखा गया था लेकिन तमाम कोशिशों को बावजूद डॉक्टर उनकी जान बचा पाने में नाकाम रहे।
क्यों भड़की थी दंगे की आग?
बता दें कि मध्य नागपुर के महल इलाके में 17 मार्च की शाम करीब 07:30 बजे हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें पुलिस पर पथराव किया गया। हिंसा के दौरान DCP स्तर के 3 अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इलाके में यह अफवाह फैली कि छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर दक्षिणपंथी संगठनों के आंदोलन के दौरान पवित्र आयत लिखी चादर जलाई गई थी। हिंसा के इस मामले में अब तक कुल 105 लोग पकड़े गए हैं। पुलिस के मुताबिक, नागपुर हिंसा के सिलसिले में 10 किशोर भी हिरासत में लिए गए हैं।