अखिलेश यादव ने लोकसभा में ली BJP की चुटकी, अमित शाह ने जवाब से कर दी बोलती बंद


नई दिल्ली: लोकसभा में बुधवार को वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और गृहमंत्री अमित शाह के बीच मजेदार नोकझोंक देखने को मिली। दरअसल, सपा प्रमुख ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव में देरी पर तंज कसा था जिसका गृह मंत्री ने बेहद ही मजेदार जवाब दिया। अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा था कि जो पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है वह तय नहीं कर पा रही है कि अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा क्योंकि पार्टी में मुकाबला चल रहा है।

‘मैं भी इस पर हंसते-हंसते जवाब देता हूं’

अखिलेश के तंज पर जवाब देते हुए शाह ने कहा, ‘अखिलेश यादव ने मुस्कुराते हुए बात कही है, इसलिए मैं भी इस पर हंसते-हंसते जवाब देता हूं। सामने जितनी भी पार्टियां हैं वहां 5 लोगों को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना है, इसलिए जरा भी देर नहीं लगती। हमारे यहां 12 करोड़ लोग मिलकर चुनाव करते हैं, इसलिए देर हो जाती है। आपके यहां जरा भी देर नहीं लगेगी। मैं कह देता हूं कि आप (अखिलेश यादव) अगले 25 साल तक अध्यक्ष हो।’ अमित शाह के इस जवाब पर सदन में जमकर ठहाके लगे और अखिलेश यादव भी हाथ जोड़कर हंसते हुए नजर आए।

‘ये बिल सत्तारूढ़ बीजेपी का सियासी हठ है’

अखिलेश यादव ने बुधवार को लोकसभा में यह भी कहा कि अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक लाई और यह सत्तारूढ़ बीजेपी का ‘सियासी हठ’ है तथा ‘उसकी सांप्रदायिक राजनीति का एक नया रूप’ है। उन्होंने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि वक्फ से जुड़े जिन मुद्दों पर फैसला लिया जाना था उन्हें इस विधेयक में अहमियत नहीं दी गई है। अखिलेश ने ‘नोटबंदी’ के केंद्र के फैसले पर तंज कसते हुए कहा, ‘बहुत तैयारी के साथ आये थे, फैसला लिया था कि आधी रात के बाद नोट नहीं चलेंगे, लेकिन अभी भी कितनी जगह से कितना रुपया निकल रहा।’

‘कितनी जमीन पर चीन ने गांव बसा लिए हैं?’

अखिलेश ने कहा ,‘वक्फ की जमीन से बड़ा मुद्दा वह जमीन है जिस पर चीन ने अपने गांव बसा लिए हैं। लेकिन कोई भी इस बाहरी खतरे पर सवाल-बवाल न करे, इसलिए यह विधेयक लाया गया। मंत्री जी (किरेन रीजीजू) उसी सीमावर्ती राज्य, अरूणाचल प्रदेश से आते हैं। वह बताएं कि कितनी जमीन पर चीन ने गांव बसा लिए हैं। वक्फ विधेयक बीजेपी का सियासी हठ है और यह बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति का एक नया रूप है। बीजेपी मुसलमान भाइयों की जमीन चिह्नित करने की कोशिश कर रही है। सरकार (वक्फ) जमीन को नियंत्रण में लेकर उसे पिछले दरवाजे से अपने लोगों को देना चाहती है।’

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