
वक्फ बिल को लेकर अमित शाह का बड़ा बयान।
संसद में बुधवार को वक्फ संशोधन अधिनियम पेश कर दिया गया है। बुधवार को लोकसभा में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने इसका जमकर विरोध किया है। वहीं, सत्ता पक्ष ने भी विपक्ष की सभी आपत्तियों का जवाब दिया और उनपर तुष्टिकरण का आरोप लगाया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी वक्फ बिल को लेकर सदन को संबोधित किया है। अमित शाह ने सदन को वक्फ और वक्फ बोर्ड में अंतर भी बताया और विपक्षी दलों पर देश को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
धार्मिक मामलों में गैर-मुस्लिमों की भूमिका नहीं- अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2013 में वक्फ कानून बनाया गया; अगर ऐसा नहीं किया जाता तो शायद इस विधेयक की जरूरत ही नहीं पड़ती। अमित शाह ने कहा कि क्फ परिषद और बोर्ड का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का दुरूपयोग करने वालों को पकड़ना है। अमित शाह ने सदन को बताया है कि वक्फ परिषद और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल किया गया है; ये निकाय पूरी तरह से घोषित उद्देश्यों के अनुरूप संपत्तियों का प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए हैं। उन्होंने ये भी बताया कि वक्फ परिषद, वक्फ बोर्ड 1995 में अस्तित्व में आए। धार्मिक मामलों में गैर-मुस्लिमों की कोई भूमिका नहीं होगी।
वक्फ और वक्फ बोर्ड में क्या अंतर है?
वक्फ एक इस्लामी कानूनी अवधारणा है, जिसका अर्थ है किसी संपत्ति को स्थायी रूप से धर्मार्थ, सामाजिक या पारिवारिक उपयोग के लिए समर्पित करना। यह संपत्ति आमतौर पर मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान, अनाथालय या गरीबों की मदद जैसे कार्यों के लिए दान की जाती है। एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ के रूप में समर्पित हो जाती है, तो उसे बेचा, हस्तांतरित या व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। वक्फ का उद्देश्य समाज कल्याण और धार्मिक कार्यों को बढ़ावा देना होता है। वहीं, वक्फ बोर्ड एक सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्था है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संरक्षण और नियमन के लिए बनाई जाती है। भारत में, उदाहरण के लिए, वक्फ बोर्ड राज्य स्तर पर कार्य करते हैं और इनका गठन वक्फ अधिनियम (Waqf Act) के तहत किया जाता है। यह बोर्ड वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड रखता है, उनके उपयोग की निगरानी करता है, और यह सुनिश्चित करता है कि इनका दुरुपयोग न हो। संक्षेप में कहे तो वक्फ वह संपत्ति है जो दान की जाती है, और वक्फ बोर्ड उस संपत्ति को संभालने और उसके नियमों को लागू करने वाला प्राधिकरण है।
कोई भी गैर-मुस्लिम वक्फ में नहीं आएगा- अमित शाह
अमित शाह ने लोकसभा में कहा- “वक्फ अधिनियम और बोर्ड 1995 में लागू हुआ। गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के बारे में सभी तर्क वक्फ में हस्तक्षेप के बारे में हैं। सबसे पहले, कोई भी गैर-मुस्लिम वक्फ में नहीं आएगा। इसे स्पष्ट रूप से समझें। धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन करने वालों में किसी भी गैर-मुस्लिम को शामिल करने का कोई प्रावधान नहीं है। हम ऐसा नहीं करना चाहते हैं । यह एक बहुत बड़ी गलत धारणा है कि यह अधिनियम मुसलमानों के धार्मिक आचरण में हस्तक्षेप करेगा और उनके द्वारा दान की गई संपत्ति में हस्तक्षेप करेगा। यह गलत धारणा अल्पसंख्यकों में अपने वोट बैंक के लिए डर पैदा करने के लिए फैलाई जा रही है। मैं आज यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि वक्फ, जो हमारे मुस्लिम भाइयों द्वारा धार्मिक गतिविधियों के लिए दान के माध्यम से बनाया गया एक ट्रस्ट है, उसमें सरकार द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। मुतवल्ली उनके समुदाय से होगा, वाकिफ उनका होगा और वक्फ भी उनका होगा।”
वक्फ धार्मिक है- वक्फ बोर्ड और परिषद नहीं- अमित शाह
अमित शाह ने इसपर आगे कहा कि वक्फ धार्मिक हुआ, वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद धार्मिक नहीं है। विरोधी दलों द्वारा वोटबैंक के लिए मुसलमानों को भड़काया जा रहा है। आप लोग (विपक्षी दल) देश को तोड़ दोगे। मैं मुसलमानों से कहना चाहता हूं कि आपके वक्फ में कोई भी गैर मुसलमान नहीं आएगा। लेकिन जो वक्फ बोर्ड है और वक्फ परिषद है, उसे लेकर हम प्रावधान लेकर आए हैं, ताकि वक्फ के नाम पर औने-पौने दाम में संपत्तियों को 100-100 साल के लिए किराए पर देने वालों को पकड़ना और उन्हें निकालना इस बिल का उद्देश्य है।
विपक्षी दल देश तोड़ देंगे- अमित शाह
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा- “वक्फ में पहले तो कोई गैर इस्लामिक सदस्य आएगा ही नहीं। ना मुतवल्लिक गैर इस्लामिक होगा और ना ही कोई दूसरा गैर इस्लामी होगा। अमित शाह ने इसपर आगे कहा कि वक्फ धार्मिक हुआ, वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद धार्मिक नहीं है। विरोधी दलों द्वारा वोटबैंक के लिए मुसलमानों को भड़काया जा रहा है। आप लोग (विपक्षी दल) देश को तोड़ दोगे।”
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