बालिग होते ही उठा परिवार का साया, मुफलिसी में नेलपॉलिश बेच चलाया घर, आज हैं एक्टिंग के किंग


  • बॉलीवुड एक्टर अरशद वारसी आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अपने करियर में संजय दत्त से लेकर अजय देवगन तक कई दिग्गज सुपरस्टार्स के साथ अपनी एक्टिंग का जलवा दिखा चुके अरशद वारसी का यहां तक का सफर काफी मुश्किल रहा है। अरशद वारसी ने अपने करियर में कई बेहतरीन किरदार निभाए हैं और आज तक उन किरदारों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन अपनी दम पर बड़े स्टार बने अरशद वारसी के बालिग होने से पहले ही उनके सिर से माता और पिता का साया उठ गया था। इसके बाद अपने संघर्ष के दिनों में प्लास्टिक से लेकर नेलपॉलिश तक बेचा और बाद में फिल्मी दुनिया में एक चमकता सितारा बन गए।

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    बॉलीवुड एक्टर अरशद वारसी आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अपने करियर में संजय दत्त से लेकर अजय देवगन तक कई दिग्गज सुपरस्टार्स के साथ अपनी एक्टिंग का जलवा दिखा चुके अरशद वारसी का यहां तक का सफर काफी मुश्किल रहा है। अरशद वारसी ने अपने करियर में कई बेहतरीन किरदार निभाए हैं और आज तक उन किरदारों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन अपनी दम पर बड़े स्टार बने अरशद वारसी के बालिग होने से पहले ही उनके सिर से माता और पिता का साया उठ गया था। इसके बाद अपने संघर्ष के दिनों में प्लास्टिक से लेकर नेलपॉलिश तक बेचा और बाद में फिल्मी दुनिया में एक चमकता सितारा बन गए।

  • अरशद वारसी के पिता अहमद अली खान एक कवि के साथ सिंगर भी थे। सूफी संत वारिस पाक के प्रति अपनी निष्ठा के सम्मान में उन्होंने वारसी उपनाम अपनाया। दुर्भाग्य से  जब अरशद सिर्फ़ 18 साल के थे तब उनके पिता की हड्डी के कैंसर से मृत्यु हो गई। दो साल बाद अरशद की मां के निधन के साथ दुख और बढ़ गया, जो किडनी फेल होने से अपनी जान गंवा बैठीं।

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    अरशद वारसी के पिता अहमद अली खान एक कवि के साथ सिंगर भी थे। सूफी संत वारिस पाक के प्रति अपनी निष्ठा के सम्मान में उन्होंने वारसी उपनाम अपनाया। दुर्भाग्य से जब अरशद सिर्फ़ 18 साल के थे तब उनके पिता की हड्डी के कैंसर से मृत्यु हो गई। दो साल बाद अरशद की मां के निधन के साथ दुख और बढ़ गया, जो किडनी फेल होने से अपनी जान गंवा बैठीं।

  • अपने माता-पिता को खोने के बाद अरशद वारसी को खुद की देखभाल करने की हार्श रियालिटी का सामना करना पड़ा। दुर्भाग्य से उन्हें और भी असफलताओं का सामना करना पड़ा क्योंकि कानूनी दिक्कतों के कारण उन्हें ग्रांट रोड पर अपनी दो इमारतों को छोड़ना पड़ा, जिसके कारण किरायेदारों को उन फ्लैटों का मालिक बनना पड़ा जिनमें वे रहते थे।

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    अपने माता-पिता को खोने के बाद अरशद वारसी को खुद की देखभाल करने की हार्श रियालिटी का सामना करना पड़ा। दुर्भाग्य से उन्हें और भी असफलताओं का सामना करना पड़ा क्योंकि कानूनी दिक्कतों के कारण उन्हें ग्रांट रोड पर अपनी दो इमारतों को छोड़ना पड़ा, जिसके कारण किरायेदारों को उन फ्लैटों का मालिक बनना पड़ा जिनमें वे रहते थे।

  • मुफलिसी और संघर्ष के दिनों में अरशद वारसी सेल्समैन बने और 10वीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार अरशद बोरीवली और बांद्रा के बीच बसों में लिपस्टिक और नेल पॉलिश बेचते थे। उन्होंने एक फोटो लैब में काम किया है और यहां तक ​​कि महेश भट्ट की फिल्मों में भी मदद की है।

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    मुफलिसी और संघर्ष के दिनों में अरशद वारसी सेल्समैन बने और 10वीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार अरशद बोरीवली और बांद्रा के बीच बसों में लिपस्टिक और नेल पॉलिश बेचते थे। उन्होंने एक फोटो लैब में काम किया है और यहां तक ​​कि महेश भट्ट की फिल्मों में भी मदद की है।

  • मनोरंजन की दुनिया में अरशद वारसी का सफर तब शुरू हुआ जब वह अकबर सामी के डांस ग्रुप में शामिल हो गए, डांस के प्रति उनके जुनून ने उन्हें आगे बढ़ाया और अंततः उन्हें कोरियोग्राफर बना दिया। अरशद वारसी ने अपने करियर में कई बेहतरीन किरदारों से लोगों के दिलों में जगह बनाई है। अरशद की जिंदगी का सबसे पॉपुलर किरदार मुन्नाभाई का सर्किट रहा है। इस फिल्म में अरशद की एक्टिंग को लोगों ने खूब पसंद किया था। सर्किट का किरदार आज भी लोगों के जहन में बसा हुआ है।

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    मनोरंजन की दुनिया में अरशद वारसी का सफर तब शुरू हुआ जब वह अकबर सामी के डांस ग्रुप में शामिल हो गए, डांस के प्रति उनके जुनून ने उन्हें आगे बढ़ाया और अंततः उन्हें कोरियोग्राफर बना दिया। अरशद वारसी ने अपने करियर में कई बेहतरीन किरदारों से लोगों के दिलों में जगह बनाई है। अरशद की जिंदगी का सबसे पॉपुलर किरदार मुन्नाभाई का सर्किट रहा है। इस फिल्म में अरशद की एक्टिंग को लोगों ने खूब पसंद किया था। सर्किट का किरदार आज भी लोगों के जहन में बसा हुआ है।

  • अरशद ने साल 1993 में फिल्म 'रूप की रानी चोरों का राजा' में छोटे रोल से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद बेताबी, तेरे मेरे सपने, हीरो हिंदुस्तानी, मेरे दो अनमोल रतन जैसी दर्जनों फिल्मों में अपनी एक्टिंग को धार दी। साल 2003 में रिलीज हुई मुन्नाभाई एमबीबीएस ने अरशद की जिंदगी पलट दी और हिट एक्टर बना दिया। इसके बाद अरशद ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और सुपरहिट एक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं। अब तक अरशद 67 से ज्यादा फिल्मों और ओटीटी सीरीज में काम कर चुके हैं।

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    अरशद ने साल 1993 में फिल्म ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ में छोटे रोल से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद बेताबी, तेरे मेरे सपने, हीरो हिंदुस्तानी, मेरे दो अनमोल रतन जैसी दर्जनों फिल्मों में अपनी एक्टिंग को धार दी। साल 2003 में रिलीज हुई मुन्नाभाई एमबीबीएस ने अरशद की जिंदगी पलट दी और हिट एक्टर बना दिया। इसके बाद अरशद ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और सुपरहिट एक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं। अब तक अरशद 67 से ज्यादा फिल्मों और ओटीटी सीरीज में काम कर चुके हैं।





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