कोलकाता में प्रदर्शनकारी शिक्षकों को ‘पुलिस ने मारी लात’, BJP सांसद पहुंचे; जानें क्या है पूरा मामला


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शिक्षकों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘दोषपूर्ण और भ्रष्ट’ करार दिए जाने के बाद अपनी नौकरी गंवाने वाले कुछ शिक्षकों ने गुरुवार को स्कूल सेवा आयोग यानी कि SSC के दफ्तर के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी। यह कदम नौकरी छिनने के साथ-साथ बुधवार को दक्षिण कोलकाता के कस्बा में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के विरोध में उठाया गया है। प्रदर्शनकारियों को समर्थन देने के लिए बीजेपी सांसद और कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज अभिजीत गंगोपाध्याय भी धरनास्थल पर पहुंचे।

‘कुछ शिक्षकों को लात भी मारी गई’

प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि वे साल्ट लेक स्थित पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के ‘आचार्य सदन’ भवन के बाहर बुधवार रात से धरने पर बैठे हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हमने एक शिक्षक के साथ भूख हड़ताल शुरू की है और जल्द ही इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तय करेंगे।’ उनका आरोप है कि कस्बा के जिला निरीक्षक (DI) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया, धक्का-मुक्की की और कुछ को लात भी मारी।

सांसद गंगोपाध्याय ने किया समर्थन

बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने प्रदर्शनकारियों की हालत के लिए राज्य प्रशासन और उसकी शाखाओं को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘दूसरों के अवैध कृत्यों के कारण अपनी नौकरी गंवाने वाले निर्दोष शिक्षकों के खिलाफ पुलिस ने मामले दर्ज किए हैं, जो नहीं होना चाहिए था।’ बीजेपी नेता ने बताया कि वह पूर्व राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली के साथ धरनास्थल पर आए थे ताकि प्रभावित शिक्षकों और कर्मचारियों के प्रति एकजुटता जताई जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस कार्रवाई के विरोध में वह शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से मिलने नहीं गए, लेकिन बीजेपी नेतृत्व उनके फैसले के साथ है।

आखिर क्या है यह भर्ती घोटाला?

बता दें कि यह विवाद तब शुरू हुआ जब गंगोपाध्याय ने कलकत्ता हाई कोर्ट के जज के रूप में नवंबर 2021 में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की CBI जांच का आदेश दिया था। जांच में अनियमितताएं सामने आने के बाद उन्होंने 25,000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियों को रद्द करने का फैसला सुनाया। इस आदेश को हाई कोर्ट की बेंच और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को अपने फैसले में 2016 की SSC भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह रद्द कर दिया, जिसमें 25,753 कर्मचारियों की नियुक्तियां शामिल थीं।

आयोग पर लगाए गंभीर आरोप

नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों का कहना है कि इस स्थिति के लिए स्कूल सेवा आयोग जिम्मेदार है, क्योंकि उसने यह साफ नहीं किया कि किन अभ्यर्थियों ने गलत तरीके से नौकरी हासिल की थी। उनका आरोप है कि सभी को एक ही श्रेणी में रखकर सजा दी गई। इस मामले में CBI और ED ने पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी सहित कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, जो उस समय SSC में महत्वपूर्ण पदों पर थे। प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने संकेत दिया है कि वे अपने आंदोलन को और तेज कर सकते हैं। (भाषा)





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