माली बना ये सुपरस्टार, ओशो के कहने पर अमिताभ के खिलाफ चुनाव लड़ने लौटा भारत, वाजपेयी सरकार में रहा मंत्री


Vinod Khanna osho
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ओशो और विनोद खन्ना।

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि बॉलीवुड के कई सितारे दार्शनिक ओशो भक्त रहे हैं। कई फिल्मी सितारों ने उन्हें अपना गुरु माना और उनके आश्रम में वक्त भी बिताया है। प्रवीन बाबी, महेश भट्ट और विनोद खन्ना इस लिस्ट में बड़े नाम हैं। कहा जाता है कि परवीन बाबी और विनोद खन्ना दोनों को महेश भट्ट ने ही ओशो से परिचित कराया था। इसके बाद विनोद खन्ना ने घर-परिवार छोड़कर ओशो के आश्रम में शरण ले ली थी। कहा जाता है कि विनोद खन्ना ने पुणे वाले ओशो आश्रम में भी कई साल बिताए थे। अब सालों बाद ओशो के भाई स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने अभिनेता विनोद खन्ना के अमेरिका में ओशो के आश्रम में रहने के चर्चित अनुभव पर बात की है। 

एक्टर ने छोड़ दिया था घर परिवार

विनोद खन्ना ने अपने करियर के चरम पर ही यह काम छोड़ दिया था। अपनी पत्नी और दो बच्चों, अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना को छोड़कर विनोद खन्ना ने ओशो के आश्रम में संन्यास लेने का फैसला किया था। ओशो के भाई ने बताया कि अभिनेता ने स्वीकार किया कि उन्हें अपने परिवार की बहुत याद आ रही है और उन्होंने उनके पास लौटने की इच्छा भी जताई। बदले में ओशो ने उन्हें कुछ सलाह दी। हिंदी रश के साथ बातचीत में उनसे मानसिक तनाव के बारे में पूछा गया जिसके कारण मशहूर हस्तियां ओशो से मदद मांगती थीं। इस पर उन्होंने कहा, ‘ये लोग सपनों के सौदागर हैं। वे लोगों को सपने बेचते हैं। वे सपनों के निर्माता हैं, लेकिन उनका जीवन अक्सर वैसा नहीं होता जैसा वे स्क्रीन पर दिखाते हैं। मैं विनोद खन्ना के बारे में बात कर सकता हूं, क्योंकि मैं उनसे बहुत करीब था। संयोग से रजनीशपुरम में हमारे घर एक-दूसरे के ठीक बगल में थे। मैं उन्हें अच्छी तरह से जानता था। वह अक्सर मुझसे अपनी पत्नी और बच्चों से दूर होने का दुख व्यक्त करते थे।’

हैरत में पड़ गए थे विनोद

स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने खुलासा किया कि ओशो ने ही विनोद खन्ना को अमिताभ बच्चन के खिलाफ चुनाव लड़ने का सुझाव दिया था, यह ऐसी सलाह थी जिसने खुद अभिनेता को चौंका दिया। शैलेंद्र सरस्वती आगे बताते हैं, ‘वह ओशो के घर पर माली के रूप में काम करते थे और ओशो उन्हें देखते थे। उन्होंने देखा कि विनोद उदास रहते थे। उन्होंने उनके बारे में पूछा और उन्हें बताया गया कि विनोद अपने परिवार को याद कर रहे थे। ओशो ने कहा कि नहीं वह अपने परिवार को याद नहीं कर रहा है। उसे भारत लौटने और अमिताभ बच्चन के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कहो। यह सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ। यह सुनकर विनोद खन्ना भी हैरान थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं, लेकिन कल्पना कीजिए कि ओशो कितने दूरदर्शी थे। वह जानते थे कि विनोद किस दौर से गुजर रहे थे, जबकि विनोद खुद नहीं जानते थे। वह जानते थे कि आश्रम में रहने के दौरान अमिताभ बच्चन ने बॉलीवुड पर कब्जा कर लिया था। ओशो ने कहा कि तुम भारत जाओ और चुनाव लड़ो बच्चन के खिलाफ।’

osho and vinod khanna

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ओशो आश्रम में विनोद खन्ना।

ओशो ने समझ ली थी असल बात

ओशो के भाई ने कहा कि हालांकि विनोद खन्ना ने ओशो को यह समझाने की कोशिश की कि उन्हें अपने परिवार की याद आ रही है, लेकिन ओशो समझ गए कि उनके अवचेतन मन में कुछ और चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘ओशो विनोद खन्ना की आत्मा के अंदर झांकने में सक्षम थे और पहचान सकते थे कि उन्हें क्या परेशान कर रहा था। अमिताभ के नंबर वन स्टार बनने की वजह से उनके अवचेतन मन में एक घाव था, लेकिन उनका चेतन मन यह दिखावा कर रहा था कि वे अपने परिवार को लेकर परेशान हैं।’ 

ऐसा रहा विनोद खन्ना का राजनीतिक सफर

उल्लेखनीय है कि विनोद खन्ना 1980 के दशक में भारत लौट आए और वहीं से शुरुआत की, जहां उन्होंने सब छोड़ दिया था। साल 1997 में वे भाजपा में शामिल हो गए और गुरुदासपुर से चार बार लोकसभा चुनाव जीते। विनोद खन्ना वाजपेयी सरकार में विदेश राज्य मंत्री थे। उन्होंने मंत्री के तौर पर संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय में भी काम किया था। साल 2004 में वे गुरदासपुर से उपचुनाव जीते। हालांकि खन्ना 2009 के आम चुनावों में हार गए। साल 2014 के आम चुनाव में वे फिर से उसी निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 

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