
किशोर कुमार के साथ भगवान दादा।
मनोरंजन जगत में सफलता का स्वाद चखना कोई आसान काम नहीं है। सफलता हासिल करना और उसे बनाए रखना, उसे गिरने नहीं देना बेहद मुश्किल काम है। इंडस्ट्री में ऐसे कई सितारे आए जिन्होंने खूब नाम कमाया, लेकिन अचानक ही सिनेमा इंडस्ट्री से गायब भी हो गए। वहीं कुछ अपनी पूरी जिंदगी बुलंदियों पर रहे। आज हम एक ऐसे अभिनेता के बारे में बात करेंगे जो रातों-रात मशहूर हो गया लेकिन, सफलता के बाद एक ही हफ्ते में बंगला-गाड़ी खरीद ली, लेकिन फिर उसने अपना सबकुछ खो दिया। कभी बॉलीवुड का भगवान कहे जाने वाले अभिनेता का दुखद निधन हो गया। अगर आप सोच रहे हैं कि हम किस अभिनेता की बात कर रहे हैं तो बता दें कि हम जिस अभिनेता की बात कर रहे हैं वो भगवान दादा हैं।
कपड़ा मिल में मजदूर थे पिता
आज भले ही भगवान दादा ज्यादातर लोगों को याद न हो, लेकिन 1940 से 1950 के दशक के बीच वे सिनेमा जगत के सबसे पसंदीदा अभिनेताओं में से एक थे। भगवान दादा का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उनके पिता एक कपड़ा मिल में मजदूर थे। वे कुश्ती समुदाय के बीच प्रसिद्ध थे और बाद में उनका नाम उसी पहचान के साथ प्रसिद्ध हो गया। जब वे फिल्मों में आए तो एक्शन के नए-नए ट्रेंड्स स्थापित कर दिए। बिना बॉडी डबल स्टंट की शुरुआत उन्होंने ही की थी।
300 फिल्मों में किया काम
फिल्मों में आने से पहले भगवान दादा भी अपने पिता की तरह ही मुंबई में एक कपड़ा मिल में काम करते थे। लेकिन, मेहनत और लगन ने उन्हें स्टार बना दिया। वह शुरुआत से ही एक स्टार बनने के सपने देखते थे। भगवान दादा ने फिल्म ‘क्रिमिनल’ से अपने अभिनय की शुरुआत की और उसके बाद सालों तक सिनेमा जगत में अपनी पकड़ बनाए रहे। उन्होंने अपने करियर में ‘फहाद’ और ‘किसान’ सहित करीब 300 फिल्मों में काम किया।
हिट रही 1951 की फिल्म अलबेला
उन्होंने मूक फिल्मों के दौर में अभिनय करना शुरू किया और एक समय पर खुद ही फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया। उनकी 1951 की फिल्म अलबेला, जिसका उन्होंने निर्देशन और अभिनय किया, बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और खूब कमाई की। भगवान दादा ने ‘वनमोहिनी’ नाम की एक तमिल फिल्म का भी निर्देशन किया, जिसमें एम.के. राव, राधा और थावमणि देवी ने अभिनय किया था।
भगवान दादा।
एक फिल्म ने कर दिया बर्बाद
इतनी बड़ी सफलता के साथ, उन्होंने एक शानदार जीवन जिया और उनके पास लग्जरी कारें और मुंबई में 25 कमरों वाला एक बंगला था। वह फिल्म के सेट पर कार से ही जाया करते थे। लेकिन, एक गलत कदम ने उनका स्टारडम भी छीन लिया और एक दिन उन्हें अपना सबकुछ बेचना पड़ा, फिर उन्हें अपने आखिरी दिन चॉल में बिताने पड़े। दरअसल, भगवान दादा एक फिल्म बना रहे थे, जिसका नाम था ‘हंसते रहना’। इस फिल्म के लिए उन्होंने किशोर कुमार को साइन किया था। लेकिन, किशोर कुमार के नखरों की वजह से उन्हें ये फिल्म बंद करनी पड़ी, जिसके चलते भगवान दादा को खासा नुकसान हुआ।
नुकसान की भरपाई के लिए बेच दिया घर-गाड़ी
‘हंसते रहना’ को बंद करने के बाद भगवान दादा को नुकसान की भरपाई करनी पड़ी, जिसके लिए उन्होंने अपना जुरू स्थित बंगला और कारें बेच दीं। आर्थिक तंगी के चलते उन्हें चॉल में गुजारा करना पड़ा। दुख को भुलाने के लिए वह शराब भी पीने लगे। लेकिन, इतने बुरे वक्त में भी लोगों का भगवान दादा को लेकर प्यार कम नहीं हुआ। गणेश चतुर्थी पर जब भी गणपति का जुलूस निकलता, उनकी चॉल के पास जरूर रुकता था। 2002 में दिल का दौरा पड़ने से भगवान दादा का निधन हो गया।