मुर्शिदाबाद हिंसा: झारखंड की ओर कर रहे हैं पलायन हिंदू परिवार, पीड़ितों ने सुनाई आपबीती; रो पड़े बुजुर्ग


मुर्शिदाबाद हिंसा से पीड़ित परिवार
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मुर्शिदाबाद हिंसा से पीड़ित परिवार

कोलकाता: वक्फ संशोधन कानून के विरोध में मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा में कई परिवार विस्थापित हो गए हैं, जिनमें से कई झारखंड के पाकुड़ जिले में पलायन कर गए हैं, जबकि अन्य ने मालदा में स्थापित राहत शिविरों में शरण ली है। जानकारी के अनुसार, मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा से प्रभावित कई परिवार दोनों राज्यों के बीच सीमा के पास स्थित झारखंड के पाकुर में चले गए हैं।

आपबीती सुनाते हुए पड़े बुजुर्ग  

झारखंड के पाकुड़ में पलायन करने वाले एक बुजुर्ग व्यक्ति मुर्शिदाबाद हिंसा के दौरान अपनी आपबीती बताते हुए रो पड़े। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे वास्तव में नहीं पता कि क्या हुआ। मैंने सुबह अपनी दुकान खोली और बाहर बैठ गया। दंगाइयों ने दरवाजे पीटना शुरू कर दिया, ईंटें फेंकनी शुरू कर दीं और आखिरकार दरवाजे तोड़ दिए। मेरा टेलीविजन, शीशा, मेरा फर्नीचर, 2-3 अलमारियां और मेरा सारा पैसा घर पर ही था। हम परसों रात यहां आए थे। कई दंगा पीड़ितों का आरोप है कि उनका घर और दुकानें उपद्रवी लूट लिए। 

दंगाइयों ने कई घंटे तक की लूटपाट

मुर्शिदाबाद हिंसा के शिकार रिंकू शाह ने बताया कि बीएसएफ के आने और उन्हें बचाने तक उनके गांव में मुस्लिमों ने चार घंटे तक हमला किया और बर्बरता की। रिंकू ने बताया कि हमारे गांव के मुसलमानों ने हम पर हमला किया। वे घर में घुस गए, सब कुछ लूट लिया, चीजों को तोड़ दिया और सभी पैसे ले लिए। जब हमने पुलिस को फोन किया तो उन्होंने कहा कि हमारी शिकायत दर्ज की जा रही है और वे लिए मदद रास्ते में हैं। मगर हमला चार घंटे तक जारी रहा। तब बीएसएफ पहुंचे और हमें बचाया।

मदद के लिए चिल्लाते रहे लेकिन पुलिस ने नहीं की मददः पीड़ित

एक अन्य पीड़ित झुमकी शाह ने कहा कि हमला अचानक था और उसे और उसके परिवार के सदस्यों को भीड़ से बचने के लिए खुद को एक कमरे में बंद करना पड़ा। झुमकी शाह ने बताया कि अचानक एक भीड़ ने हमला किया कि कुछ भी समझने या यहां तक ​​कि बचने का समय नहीं था। हर कोई एक कमरे में इकट्ठा हो गया और खुद को बंद कर दिया। दंगाइयों ने लॉकर खोला और घर में सभी आभूषण और नकदी लूट ली। वे कह रहे थे कि वे यहां एक भी हिंदू नहीं रहने देंगे। उनकी मदद करने के लिए कोई नहीं था। हम बार-बार पुलिस को फोन करते रहे-वे कहते रहे कि वे 10 मिनट में आएंगे। हमलावरों ने रात 9 बजे घर में प्रवेश किया और अगले दिन दोपहर 1:30 बजे तक लूटपाट करते रहे। 

 रेखा रानी शाह ने कहा कि हमले के बाद, गांव में रहने वाले 10 हिंदू परिवारों ने घर छोड़ दिया। सब कुछ नष्ट हो गया और उपद्रवियों ने सभी कपड़ों भी में आग लगा दिया और घर का सामान लूट लिया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय हिंसा पर रख रहा नजर

उधर, मंगलवार को सरकारी सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को मुर्शिदाबाद हिंसा की प्रारंभिक जांच से अवगत कराया गया है, जो कथित तौर पर बांग्लादेशी बदमाशों की संलिप्तता का संकेत देती है। गृह मंत्रालय मुर्शिदाबाद और पश्चिम बंगाल के अन्य संवेदनशील जिलों में गतिविधियों पर बारीकी से नज़र रख रहा है और मुर्शिदाबाद में सीमा सुरक्षा बल की लगभग नौ कंपनियों, कम से कम 900 कर्मियों को तैनात किया है। 

11 अप्रैल को फैली थी हिंसा

बता दें कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में 11 अप्रैल को मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा भड़क उठी थी। विरोध प्रदर्शन मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और हुगली जिलों में फैल गया, जिसके कारण आगजनी, पथराव और सड़क जाम की स्थिति पैदा हो गई। अशांति के बाद, निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। सबसे अधिक प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं, जहां हिंसा हुई थी।

इनपुट-एएनआई





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