
तब्लीगी जमात
नूंह: तब्लीगी जमात का तीन दिवसीय इस्लामिक जलसा हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका कस्बे में जल रहा है। इस तीन दिनों के जलसे में करीब 15 लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है। इसकी तैयारियां पिछले चार महीने से चल रही थीं।
21 एकड़ में पंडाल
इस जलसे के आयोजन स्थाल पर 21 एकड़ में एक बड़ा पंडाल तैयार किया है जबकि 100 एकड़ जमीन पर लोगों के बैठने के इंतजाम किए गए हैं। वहीं चारों तरफ 20-20 एकड़ में चार दिशाओं में पार्किंग की व्यवस्था इस तरह से की गई है कि ताकि ट्रैफिक का दबाव कम हो। आयोजन स्थल के पास गाड़ियों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, केवल पैदल आनेजाने वालों को अनुमति दी गई है। पंडाल के बाहर ट्रैफिक को लेकर पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं जबकि पंडाल के अंदर की व्यवस्था जमात से जुड़े पंडाल वॉलंटियर संभालेंगे। पिछली बार राजस्थान में जलसा का आयोजन हुआ था। इस बाह नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका शहर को चुना गया है। जानकारी के मुताबिक इस जलस में हजरत निजामुद्दीन से मौलाना साद के साथ अन्य मौलाना भी शामिल हो रहे हैं।
हिंदुओं की जमीन पर जलसा
इस जलसे की खास बात ये है कि जिस जगह पर आयोजन हो रहा है, उसका एक बड़ा हिस्सा हिंदुओं की जमीन पर स्थित है। जलसा कमिटी ने बिरयानी बेचने वालों के लिए चेतावनी जारी की है और कहा कि वे वेज बिरयानी ही बेचने की कोशिश करें। अगर नॉनवेज बिरयानी बेचनी है तो केवल चिकन बिरयानी ही बेचें। अगर किसी बड़े पशु का मांस बेचने का काम किया तो पुलिस भी एक्शन लेगी और कमिटी किसी भी सूरत में इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
क्या है तब्लीगी जमात?
तब्लीगी जमात को 1926 में मौलाना मुहम्मद इलियास कांधलवी ने भारत में शुरू किया था। यह एक इस्लामी धार्मिक आंदोलन है। तब्लीगी जमात का मुख्य उद्देश्य मुसलमानों को इस्लाम की मूल शिक्षाओं की ओर वापस लाना और उनके जीवन में धार्मिकता को बढ़ावा देना है। तब्लीगी जमात व्यक्तिगत सुधार, कुरान की तिलावत, नमाज और इस्लाम के प्रचार पर जोर देता है
तब्लीगी जमात के सदस्यों को जमाती कहा जाता है। ये लोग अपनी इच्छा के मुताबिक छोटे समूहों में विभिन्न स्थानों पर जाकर लोगों को इस्लाम की शिक्षा देते हैं। वे अक्सर जमात के रूप में कुछ दिनों या महीनों के लिए यात्रा करते हैं, जिसे “चिल्ला” कहा जाता है। यह आंदोलन गैर-राजनीतिक है और सादगी, विनम्रता, और आत्म-शुद्धि पर जोर देता है।
हालांकि, कुछ देशों में इसकी गतिविधियों पर सवाल उठे हैं, और इसे कट्टरपंथ से जोड़ा गया है, लेकिन जमात खुद को शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक संगठन के रूप में प्रस्तुत करती है। यह विश्व स्तर पर फैला हुआ है और लाखों लोग इसके साथ जुड़े हैं।
