
प्रतीकात्मक तस्वीर
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा अगर किसी भी कैदी की जेल में मृत्यु होती है तो उसके परिवार को मुआवजा देने का फैसला किया गया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले को मंजूरी देते हुए आज एक GR निकाला है जिसमें अगर किसी भी कैदी की निम्नलिखित कर्म से मृत्यु होती है तो उनके परिवार या उनके करीबियों को इस प्रकार से मुआवजा दिया जाएगा।
सरकार की तरफ से निकाले गए GR के मुताबिक-
- जेल में निर्धारित कार्य करते समय दुर्घटना/चोट से मृत्यु- 5 लाख रुपये।
- जेल चिकित्सा अधिकारी/कर्मचारी की लापरवाही के कारण मृत्यु- 5 लाख रुपये।
- जेल अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा शारीरिक यातना/पिटाई के कारण मृत्यु- 5 लाख रुपये।
- अंतर-कैदियों के आपसी झगड़े/लड़ाई/हमले के कारण मृत्यु यदि जांच से यह साबित हो कि उक्त मामले में प्रशासन की लापरवाही या ढिलाई कारण थी- 5 लाख रुपये।
- इसके अलावा अगर जेल में कैदी आत्महत्या करता है तो परिवार को ₹1 लाख का मुआवजा दिया जाएगा।
इसके अलावा किन परिस्थितियों में मुआवजा नहीं दिया जाएगा इस बात को भी सरकार ने साफ किया है।
- वृद्धावस्था और बीमारी के कारण मृत्यु।
- जेल में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के कारण मृत्यु।
- जेल से भागते समय या जेल के बाहर कानूनी हिरासत से भागते समय आकस्मिक मृत्यु।
- किसी भी कारण से मृत्यु जब बंदी जमानत पर या जेल के बाहर छुट्टी पर हो।
- अत्यधिक मांग के लिए उपवास करना या चिकित्सा उपचार से इनकार करने के कारण मृत्यु होना।
जेल अधीक्षक को सौंपनी होगी रिपोर्ट
अगर किसी भी परिस्थिति में जेल में कैदी की मृत्यु होती है तो जेल अधीक्षक को इस मामले में प्राथमिक जांच करते हुए रिपोर्ट सौंपनी होगी। कार्यकारी मजिस्ट्रेट पंचनामा, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मौत का अंतिम कारण रिपोर्ट, मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट, जिला मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट, कैदी के सभी चिकित्सा दस्तावेजों (जेल में प्रवेश से पहले और जेल में प्रवेश के बाद) और अन्य सहायक विवरणों के साथ जेल विभाग के संबंधित क्षेत्रीय प्रमुख को एक पूरी रिपोर्ट सबमिट करनी होगी।
अगर किसी कैदी की मौत होती है और जेल अधीक्षक की रिपोर्ट देखने के बाद क्षेत्रीय विभाग का प्रमुख यह समझता है कि मौत ऐसी वजह से हुई है जिसमें मुआवजा देना बनता है, तो उसे मामले की पूरी जांच करवानी होगी। यह जांच जेल या पुलिस अधिकारियों की मदद से सतर्कता टीम द्वारा करवाई जाएगी।
मुआवजा देने की प्रक्रिया-
अगर जांच में यह साबित होता है कि मौत के लिए मुआवजा बनता है, तो क्षेत्रीय विभाग प्रमुख को मेडिकल बोर्ड से भी एक रिपोर्ट लेनी होगी। फिर जांच रिपोर्ट और मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के साथ यह तय करके कि मुआवजा मिलना चाहिए या नहीं, एक पूरा प्रस्ताव बनाकर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक (जेल व सुधार सेवाएं), महाराष्ट्र राज्य, पुणे को भेजना होगा। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रस्ताव की जांच करेंगे। अगर प्रस्ताव पूरा और सही है और मुआवजा देना तय होता है, तो इसे सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही मुआवजा देने का आदेश जारी किया जाएगा।
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