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दिवंगत अभिनेता इरफान खान भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन वे हमेशा अपने प्रशंसकों की यादों में जिंदा रहेंगे। अभिनेता ने 29 अप्रैल 2020 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। अपने फिल्मी सफर के दौरान इरफान खान ने बॉलीवुड के साथ-साथ कई हॉलीवुड फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय से अपने किरदार को यादगार बना दिया। लेकिन, दिवंगत अभिनेता में वो कौन सी खासियत थी जिन पर उनकी पत्नी सुतापा मर मिटीं? चलिए जानते हैं इरफान खान और सुतापा सिकदर की दिलचस्प लव स्टोरी के बारे में।

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इरफान खान अपने डायलॉग और प्रतिष्ठित किरदारों से ज्यादा, उनकी आंखों से अभिनय करने की कला के लिए याद किया जाता है। इरफान की तरह अपनी आंखों से बोलने और अभिनय करने की कला में बहुत कम लोग महारत हासिल कर पाते हैं और उनकी इसी खूबी पर उनकी पत्नी सुतापा सिकदर भी अपना दिल हार बैठी थीं।

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इरफान और सुतापा की प्रेम कहानी दिल्ली के मंडी हाउस स्थित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में शुरू हुई थी। दोनों की मुलाकात एक एक्टिंग सेशन के दौरान हुई थी। उस वक्त इरफान जयपुर से आए थे और उन्होंने देखा कि यहां लड़कियां भी दोस्त बन सकती हैं, जिनसे खुलकर बात की जा सकती है। इसी दौरान सुतापा उनकी दोस्त बनीं।

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इरफान और सुतापा फिल्मों से लेकर दूसरे मुद्दों पर बात करने लगे और उनमें काफी समानताएं भी थीं। सभी मुद्दों पर उनके विचार एक जैसे थे। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदलने लगी और उन्होंने साथ रहने का फैसला कर लिया। वे लंबे समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे। दोनों का फोकस अपने करियर पर था। वे जहां भी जाते लोग उनसे पूछते कि क्या वे शादीशुदा हैं। इन सवालों से परेशान होकर सुतापा और इरफान ने आखिरकार 23 फरवरी, 1995 को कोर्ट मैरिज कर ली।

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सुतापा ने अपने और इरफान के रिश्ते के बारे में एक इंटरव्यू में कहा था- ‘हम बहुत अच्छे दोस्त थे। बस दोस्त। एक दिन, हम कॉलेज की सीढ़ियों पर बैठे थे, और अचानक अपनी निजी जिंदगी के बारे में बात करने लगे।’ सुतापा ने खुलासा किया कि उन्होंने किसी भी तरह से एक-दूसरे को प्रपोज नहीं किया। उन्होंने साथ रहने का फैसला किया। दोनों का धर्म उनकी शादी में बाधा नहीं बना।

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सुतापा ने कहा, ‘मेरे पिता को धर्म से कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन मेरी मां को थी क्योंकि वह एक मुस्लिम थे। मेरे पूरे परिवार में किसी ने भी धर्म से बाहर शादी नहीं की थी। लेकिन, मेरी मां की तरफ से कोई रोक-टोक नहीं थी। एक वजह यह भी थी कि हमने तुरंत शादी नहीं की, हमें काफी समय लगा। हम लंबे समय तक साथ रहे। मैं दस साल तक उनके (इरफान) परिवार से मिलती रही, तो उस परिवार में अपने आप ही रिश्ता बन गया। मैंने अपने लिए जगह बना ली। उनके परिवार में भी कोई विरोध नहीं था। हमारी शादी 1995 में हुई, और हम 1987 से साथ रह रहे हैं। यह काफी लंबा समय था।’

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सुतापा ने यह भी बताया कि इरफान बिलकुल भी हसबैंड मटेरियल नहीं थे। लेकिन बाद में उनका नजरिया बदल गया। उन्हें अपना जन्मदिन भी याद नहीं रहता था। सुतापा ने आगे कहा कि इरफान ने उनकी इच्छाओं को दूसरे तरीकों से पूरा किया। उन्होंने अपने रिश्ते को शादी के बजाय साझेदारी बताया।

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सुतापा के मुताबिक, वह और इरफान ऐसे दोस्त थे जो एक-दूसरे को गहराई से समझते थे। जब इरफान को अपना जन्मदिन याद नहीं रहता तो वह सुतापा का कैसे याद रख सकते थे। लेकिन उन्होंने कभी इस बारे में शिकायत नहीं की। इंस्टाग्राम पोस्ट में सुतापा ने यह भी बताया कि 32 सालों में इरफान उनके करीब 28 जन्मदिन भूल गए।

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अपने और इरफान के रिश्ते के बारे में बात करते हुए सुतापा ने कहा था- ‘मुझे लगता है कि बहुत लकी थे कि उन्हें मैं मिली। मैं बहुत कम खर्च वाली गर्लफ्रेंड और बहुत कम खर्च वाली पत्नी थी। उन्होंने कभी यह दबाव नहीं लिया कि अब हमारे पास यह कार होनी चाहिए। हमारे पास ऐसा घर होना चाहिए। हम केवल स्क्रिप्ट पर चर्चा करते थे। हमने कभी नहीं कहा कि संघर्ष का दौर एक बड़ी समस्या थी। हमें कोई समस्या नहीं थी। हम एक-दूसरे के साथ बहुत खुश थे।’