
एजाज खान।
फिल्मी कारोबार का एक बड़ा हिस्सा अब ओटीटी है। बड़े पर्दे पर रिलीज होने वाली फिल्मों का पेनिट्रेशन भले ही बड़े पैमाने पर होता हो, लेकिन ओटीटी का प्रभाव भी अब हर घर तर पहुंच चुका है। इसके बाद भी इस प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारियां तय नहीं हो सकी हैं। अभी भी गैर जिम्मेदाराना अंदाज में ही इस पर कंटेंट परोसने का सिलसिला जारी है। लाख कोशिशों के बाद भी इस पर कोई पहरा नहीं रखा जा पा रहा है। कई कार्रवाइयों के बाद भी अश्लीलता का बाजार ओटीटी के जरिए फैल रहा है। ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ विवाद के बाद एक और मामला चर्चा में आ गया है, जो पहले से कई ज्यादा गंभीर है। उल्लू ऐप के रियलिटी शो ‘हाउस अरेस्ट’ की एक क्लिप ने बवाल मचा दिया है। बवाल की वजह पूरी तरह से जायज भी है। अश्लील कंटेंट की भरमार वाले इस शो ने लोगों के बीच गुस्सा भड़का दिया है।
सोशल मीडिया यूजर्स के बीच आक्रोश देखने को मिल रहा है और एक बार फिर इस शो के बैन की मांग होने लगी है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और इसी के साथ ये मुद्दा राजनीतिक भी बन गया है। ये कहना गलत नहीं है कि अश्लीलता को पूरी तरह से ओटीटी के जरिए बढ़ावा मिल रहा है। कई ऐसे ऐप हैं जिनका पूरा फोकस सिर्फ और सिर्फ अश्लील कंटेंट परोसने पर है। इन एप्स के लिए ऐसा कर पाना इसलिए भी आसान है क्योंकि कोई पहरेदारी नहीं है। ओटीटी सेंसरशिप के नाम पर आज तक कोई कड़ा नियम नहीं बन सका है, जबकि फिल्मों और टीवी के लिए पहले से ही कड़ी निगरानी रही है।
क्या है उल्लू एप से जुड़ा मामला
उल्लू एप की नई ओटीटी वेब सीरीज ‘हाउस अरेस्ट’ को कई बार जेल की हवा खा चुके बिग बॉस के एक्स कंटेस्टेंट एजाज खान होस्ट कर रहे हैं। ड्रग मामलों में आरोपी रहे एजाज खान महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। बीते हफ्ते ही इनकी पत्नी भी 6 महीने जेल में बिताने के बाद छूटी हैं। इस शो में एजाज खान खुद को ‘घर का डैडी’ कह कर संबोधित कर रहे हैं। इस शो में कामासूत्र से लेकर एडल्ट कॉन्टेंट दिखाया जा रहा है। शो के प्रतिभागी भी इस अश्लीलता में हिस्सा ले रहे हैं। महिलाओं से लेकर पुरुषों में से कोई भी इसका विरोध करता नजर नहीं आ रहा है। हाल के दिनों में ही ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ का विवाद चर्चा में आया था। शो में कही गई आपत्तिजनक बात के चलते एक शो तो बैन हुआ, लेकिन कोई ऐसा नियम नहीं बनाया जा सका जिसके चलते मॉनिटरिंग हो सके। अब अगर आप सोच रहे हैं कि किस तरह से मॉनिटरिंग और सेंसरशिप होती है तो पहले आपको फिल्म और टीवी की सेंसरशिप को समझना होगा।
फिल्मों के लिए नियम
सिनेमा की दुनिया सिर्फ भाषाओं के आधार पर ही विभाजित नहीं है, बल्कि इसके विभाजन का असल आधार काम की क्वालिटी है जो तय करती है कि फिल्म ए ग्रेड होगी या बी और सी की श्रेणी में आएगी। बड़े पर्दे पर रिलीज होने वाली सभी फिल्मों को सीबीएफसी यानी सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेशन देता है, जिससे तय होता है कि ये फिल्में किस श्रेणी में शामिल होगी। सेंसर बोर्ड ने चार तरह के सर्टिफिकेशन्स तय किए हैं। अलग-अलग आधार पर ये दिए जाते हैं और इसी के अनुसार तय होता है कि फिल्म कौन-कौन देख सकेगा। हर फिल्म को एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। पहले फिल्म मेकर्स एप्लिकेशन दायर करते हैं, फिर इसे जांचा और परखा जाता है और इसके बाद सर्टिफिकेशन तय होता है। अब आपको चारों सर्टिफिकेशन्स के बारे में बताते हैं।
- यू: अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन, सभी आयु वर्ग के लिए उपयुक्त।
- यू/ए: सभी उम्र के लिए उपयुक्त, लेकिन 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए माता-पिता का मार्गदर्शन अनिवार्य है।
- ए: केवल एडल्ट्स के लिए।
- एस: प्रतिबंधित दर्शक के लिए, किसी खास समूह के लोगों के लिए फिल्म वर्जित रहती है।
टीवी के लिए नियम
सेंसर बोर्ड पहले ही अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट पर विराम लगा देता है या फिर इनके लिए एक सीमा तय कर देता है। सेंसर बोर्ड का पहरा होने के चलते मेकर्स गाली-गलौज और न्यूडिडिटी से बचते हैं। सेंसर की कैची चलते ही इन सीन्स को हटाना पड़ता है। ये तो बात हो गई बड़े पर्दे पर रिलीज होने वाली फिल्मों की अब आपको टीवी पर आने वाले कंटेंट के बारे में बताते हैं, इन पर भी कड़ा पहरा है या कहें कि इन पर फिल्मों से भी ज्यादा निगरानी रखी जा रही है, क्योंकि इनकी पहुंच घर-घर तक और बच्चे-बच्चे तक है। सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय इनके लिए कई रूप रेखाएं तय करता है। इसके अलावा केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम (1995) के तहत हर टीवी शो मॉनिटर किया जाता है और इसके बाद ही प्रसारण होता है। अश्लील और गाली-गलौज की टीवी के पर्दे पर कोई जगह नहीं है, लेकिन जब बात आती है तरक्की कर रही ओटीटी की दुनिया की तो उस पर किसी का कोई जोर नहीं। चारों ओर मायाजाल की तरह फैली इस अलग दुनिया पर क्या जाएगा क्या नहीं ये तय करना अभी भी किसी के हाथ में नहीं है।
ओटीटी के लिए नहीं कोई ठोस नियम
सस्ते इंटरनेंट ने पूरा खेल ही बिगाड़ दिया है। अब बच्चे से लेकर बुजुर्गों के हाथ में 4जी और 5जी वाला मोबाइल फोन है, जिसमें वो कुछ भी, कहीं भी और कभी भी देख सकता हैं। न दिन और रात का फर्क है, न पैसे खर्च होने का दिमाग पर जोर है और न ही किसी की नजर है। ऐसे में कुछ भी गंध परोसने और उसे कंज्यूम करने का सिलसिला धड़ल्ले से जारी है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप नियमों के बारे में अभी तक कोई विस्तृत और आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि, सरकार ने इस दिशा में कदम उठाए हैं और कुछ नियम बनाने पर विचार कर रही है। सरकार का मुख्य उद्देश्य अश्लील कंटेंट और अन्य आपत्तिजनक कंटेंट को नियंत्रित करना है। काई कार्रवाइयां भी बीते सालों में हुई हैं लेकिन अभी भी इस पर कोई रोक नहीं लग पाई है। आए दिन नए ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च हो रहे हैं, जो औने-पौने दामों में अश्लील, एरोटिक और घटिया कंटेट का प्रसार कर रहे हैं। इसमें सबसे आगे उल्लू एप है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग उठाया था मुद्दा, NCW ने भी दिया नोटिस
बता दें, बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उल्लू एप पर बीते साल मार्च के महीने में कार्रवाई की मांग की थी। आईटी मंत्रालय को लिखी चिट्ठी में कहा गया था कि स्कूली बच्चों पर उल्लू एप का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। स्कूली बच्चों को टारगेट करते हुए उल्लू एप पर अश्लील कंटेंट वाले शो होने की शिकायतें मिलीं है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपनी चिट्ठी में कहा गया कि गूगल प्ले स्टोर और iOS कोई KYC पॉलिसी या एज वेरिफिकेशन के नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। उल्लू एप के कंटेंट ने पॉक्सो कानून का उल्लंघन किया है, जिसका आयोग ने संज्ञान लिया है। उल्लू डिजिटल ने BSE SME प्लेटफार्म पर आईपीओ की अर्जी भी दी थी। फिलहाल इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई और अभी भी इस एप के जरिए अश्लीलता का कारोबार किया जा रहा है। आज इस मामले पर एनसीडब्ल्यू ने भी कार्रवाई की है और उल्लू एप के सीईओ और एजाज खान को नोटिस जारी किया है। दोनों को एनसीडब्ल्यू के सामने पेश होना पड़ेगा।
बाल आयोग का नोटिस।
लगातार बढ़ रही उल्लू एप की कमाई
अगर इस ऐप की कमाई पर नजर डालें तो इनका कारोबार तेजी बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 में इस एप ने 93.1 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया। इससे एक साल पहले इसका रेवेन्यू 46.8 करोड़ रुपये था। यानी एक ही साल में कंपनी का रेवेन्यू दोगुना हो गया है। एक ओर कंपनी का मुनाफा हो रहा है, लेकिन दूसरी ओर बड़े स्तर पर समाज का नुकसान हो रहा है। मुनाफे पर नजर डालें तो कंपनी ने दो साल में चार गुना मुनाफा किया है। जहां 2022 में कंपनी का मुनाफा 3.90 करोड़ रुपये था, वहीं अब 2023 में ये बढ़कर 15.10 करोड़ रुपये हो गया है। स्टार्टअप डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म द क्रेडिबल के अनुसार कंपनी के फाउंडर और सीईओ विभु अग्रवाल के पास कंपनी की करीब 65 फीसदी की हिस्सेदारी है। बीते कई सालों में विभु अग्रवाल लगातार इस बात की वकालत करते आए हैं कि किस तरह उनके एप का अश्लील कारोबार सही है।
कई और प्लेटफॉर्म पर भी हो रहा प्रसार
सिर्फ उल्लू एप ही एक मात्र ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं है जो इस तरह के अश्लील कंटेट परोस रहा हो। इसके अलावा भी कई ऐसे बड़े प्लेयर्स हैं जो मार्केट में अश्लील कंटेंट परोसने से कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं। कूकू ऐप, प्राइम फ्लिक्स, न्यूफ्लिक्स, ऑल्टबालाजी, हॉटशॉट, रैबिट मूवी एप पर पहले ही एडल्ट कंटेंट परोसने का ठप्पा लग चुका है। बोल्ड फिल्में और वेब सीरीज इन पर धड़ल्ले से दिखाई जा रही हैं। करण कुंद्रा और एकता कपूर जैसे बड़े नाम भी ऐसे एप चलाने वालों की लिस्ट में शामिल हैं। राज कुंद्रा और एकता कपूर, दोनों के ही एप पर कार्रवाई की गई, जहां राज कुंद्रा जेल गए, वहीं एकता कपूर का मामला अभी भी कोर्ट में है। कई पेशियों के बाद भी उनके एप ऑल्टबालाजी से कुछ कंटेंट हटाया गया तो कुछ अब भी मौजूद है। वैसे भी कहा जाता है कि इंटरनेट की दुनिया में एक बार जो चीज सामने आ गई वो कहीं न कहीं किसी न किसी फॉर्म में मौजूद रहती है, उसे पूरी तरह से हटा पाना आसान नहीं। फिलहाल चंद दिनों पहले ही एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अश्लील कंटेंट के चलन को ‘महत्वपूर्ण चिंता’ करार दिया और कहा कि ओटीटी और सोशल मीडिया साइट्स की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, ऑल्टबालाजी, उल्लू डिजिटल, मुबी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स कॉर्प, गूगल, मेटा इंक और एप्पल को भी नोटिस जारी किया था। इसमें नाम आने के बाद भी उल्लू एप ने इस तरह का शो लाने की जुर्रत की है।
18 एप को किया गया था बैन
उल्लू एप जैसे ज्यादातर प्लेटफॉर्म मेंबरशिप बेस्ड स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म हैं। उल्लू जैसे ऐप्स काफी सस्ते हैं। जहां अमेजन और नेटफ्लिक्स जैसे प्लेटफॉर्म के लिए एक अच्छी खासी रकम चुकानी पड़ती है, वहीं ये किफायती हैं। वार्षिक के साथ इनके पास हर महीने का सब्सक्रिप्शन ऑप्शन भी है। बिना किसी चेक के यहां किसी भी उम्र के लोग वीडियो कंटेंट देख सकते हैं। ये बड़ी वजह है कि इनका प्रचार तेजी से हो रहा है। बीते साल सरकार ने बड़ा एक्शन लिया था और आईटी नियम 2021 के तहत 18 OTT ऐप्स को ब्लॉक करने का फैसला किया गया था। इन सभी ऐप्स के माध्यम से अश्लील और पोर्नोग्राफिक कॉन्टेंट परोसे जा रहे थे। आईटी एक्ट के सेक्शन 69A के तहत इन ऐप्स को हटाया गया, लेकिन इसके बाद भी कई ऐसे एप हैं जो लगातार इस तरह के कंटेंट परोस रहे हैं। बीच-बीच में हो रही इन कार्रवाइयों का कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है, जब तक कोई ठोस संचालन और सेंसरशिप नियम ओटीटी जगत के लिए नहीं बनाया जाएगा, तब तक तरह के अश्लील कंटेंट पर रोक लगा पाना बहुत मुश्किल है।