
प्रतीकात्मक तस्वीर
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ चुका है। इस बीच सीमा पर हालात युद्ध जैसे बन चुके हैं। इस बीच पाकिस्तान के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र परिषद की बैठक बुलाई गई जो बेनतीजा ही रही। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस बैठक में न तो कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया और न ही कोई प्रेस विज्ञप्ति जारी की की गई है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा स्थिति पर यहां बंद कमरे में चर्चा की गई। यह चर्चा महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा परमाणु हथियार संपन्न दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव के “पिछले कई वर्षों के उच्चतम स्तर” पर पहुंच जाने पर चिंता जताए जाने के कुछ घंटों शुरू हुई। वर्तमान में 15 देशों वाली सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य पाकिस्तान ने स्थिति पर ‘बंद कमरे में बैठक’ का अनुरोध किया था।
परामर्श कक्ष में हुई बैठक
बता दें कि यूएनएससी के अध्यक्ष यूनाना ने 5 मई को यह बैठक निर्धारित की थी। बता दें कि यह बैठक सुरक्षा परिषद के चैंबर में नहीं की गई, जहां परिषद के सदस्य शक्तिशाली मेज पर बैठते हैं, बल्कि चैंबर के बगल में एक परामर्श कक्ष में यह बैठक की गई। बंद कमरे में चर्चा के कुछ ही घंटे पहले एंटोनियो गुतारेस ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के ‘‘वर्षों के उच्चतम स्तर’’ पर पहुंच जाने पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था, ‘‘संबंधों में इतना तनाव देख मुझे दुख होता है।’’ बता दें कि 5 मई की रात संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि, मैं दोनों देशों की सरकारों और लोगों का बहुत सम्मान करता हूं और उनके प्रति बहुत आभारी हूं, इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र के काम में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए भी, खासकर संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के लिए। और इसलिए मुझे यह देखकर दुख होता है कि दोनों देशों के रिश्ते इतने खराब हो गए हैं।
क्या बोले गुटेरेस
गुटेरेस ने कहा कि मैं 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले के बाद की भावनाओं को समझता हूं। मैं एक बार फिर उस हमले की कड़ी निंदा करता हूँ और पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। नागरिकों को निशाना बनाना हर हाल में अस्वीकार्य है, और ज़िम्मेदार लोगों को विश्वसनीय, वैध तरीकों से न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। लेकिन इस बीच दोनों देशों को सैन्य टकराव से बचना भी ज़रूरी है, जो आसानी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है, ख़ास तौर पर इस महत्वपूर्ण समय में।