
दिल्ली में हुआ जंगी सायरन का टेस्ट
दिल्ली में सिविल डिफेंस के तहत जंगी सायरन का टेस्ट किया गया, जिसका मकसद हवाई हमले जैसी आपात स्थिति में नागरिकों को तैयार करना था। यह अभ्यास भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बाद सतर्कता बढ़ाने के लिए किया गया। ये सायरन टेस्ट दिल्ली के ITO में PWD मुख्यालय पर हुआ। एयर रेड सायरन का यह टेस्ट करीब 15-20 मिनट तक चला। यह सायरन 4 किलोमीटर के दायरे में सुनाई दे सकता है। दिल्ली के अन्य इलाकों जैसे महर्षि वाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन (गीता कॉलोनी) और स्कोप मीनार (लक्ष्मी नगर) में भी 7 मई को मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजाए गए थे। इस दौरान निकासी, बचाव और राहत कार्यों का अभ्यास किया गया, जिसमें MCD, PWD, और कैट्स एम्बुलेंस जैसी एजेंसियां शामिल थीं।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य:
- नागरिकों को हवाई हमले या युद्ध जैसी स्थिति में सुरक्षित स्थानों पर जाने की ट्रेनिंग देना।
- ब्लैकआउट और महत्वपूर्ण संस्थानों को छुपाने (कैमोफ्लाज) की प्रक्रिया का रिहर्सल।
- आपात स्थिति में अफवाहों से बचने और सरकारी सूचनाओं पर भरोसा करने की सलाह।
- दिल्ली में 7 मई को 55 स्थानों पर बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसमें लोगों को सुरक्षित निकालने का अभ्यास हुआ।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले (26 लोगों की मौत) के बाद भारत ने पाकिस्तान में 7 मई 2025 को 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कहा गया। पाकिस्तान ने 6 ठिकानों पर हमले की पुष्टि की और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी, जिसके चलते भारत ने अपनी एयर डिफेंस यूनिट्स को सक्रिय कर दिया। इस तनाव के बीच गृह मंत्रालय ने देशभर के 259 जिलों, खासकर सीमावर्ती और संवेदनशील इलाकों में मॉक ड्रिल के निर्देश दिए।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया और सलाह
- लोगों से अपील की गई कि सायरन सुनकर घबराएं नहीं, क्योंकि यह केवल अभ्यास है।
- सायरन बजने पर शांत रहने, सुरक्षित स्थान पर जाने, और सरकारी सूचनाओं पर भरोसा करने की सलाह दी गई।
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