
इंदिरा गांधी के साथ राव बीरेंद्र सिंह।
साल था 1921 और इसी साल हरियाणा की धरती पर बच्चे ने जन्म लिया। साधारण परिवार में जन्मा ये बच्चा आगे चल कर देश के लिए क्या-क्या करेगा, इसके बारे में उस दौर में किसी ने नहीं सोचा था। नंगल पठानी का रहने वाला ये बच्चा आगे चलकर देश की सेवा में लग गया और अपने जीवन की अंतिम सांसों तक इसने अलग-अलग तरह से देश की सेवा की। आजादी के पहले और बाद दोनों का दौर देखते हुए बड़ा हुआ ये शख्स कोई और नहीं बल्कि राव बीरेंद्र सिंह हैं। हरियाणा के एक प्रमुख राजनेता के रूप में पहचाने जाने वाले राव बीरेंद्र सिंह का भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
टेरीटोरियल आर्मी में रहे कैप्टन
वे स्वतंत्रता सेनानी राव तुलाराम के वंशज थे और भारतीय सेना में कैप्टन के पद तक सेवा की थी। इसके बाद उन्होंने 1950-51 के दौरान प्रादेशिक सेना में कमीशन अधिकारी के रूप में भी कार्य किया। जी हां, राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे, उन्होंने टेरीटोरियल आर्मी में कैप्टन के रूप में सेवा की थी। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सेना में भर्ती होकर कैप्टन के पद तक सेवा की। इसके बाद उन्होंने 1950-51 के दौरान दोबारा कमीशन अधिकारी के रूप में सेवा दी।
कई और मंत्रियों के साथ राव बीरेंद्र सिंह।
पहले बने सीएम, फिर बने कैबिनेट मंत्री
इसके बाद राव बीरेंद्र सिंह राजनीति में आ गए। साल 1967 में हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बने। उन्होंने केंद्र सरकार में कृषि, खाद्य एवं आपूर्ति, ग्रामीण विकास, पंचायती राज और नागरिक आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री के रूप में कार्य किया। राव बीरेंद्र सिंह ने अपने जीवन में हमेशा किसानों, मजदूरों और गरीबों के हितों के लिए काम किया। उनकी नीतियों और कार्यों ने उन्हें “किसानों का मसीहा” बना दिया। उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। उनकी जयंती पर 2024 में डाक विभाग ने उनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उन्हें राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। बता दें, साल 2009 में 88 की उम्र में उनका निधन हो गया।