Operation Sindoor से भारत ने पाक को दिए तीन बड़े झटके, ट्रंप की सलाह पर क्यों साधी चुप्पी? जानें सबकुछ


पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप
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पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप

पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद और उनके बुनियादी ढांचे पर हमला करने के लिए भारत ने पाकिस्तान में छुपकर बैठे आतंकियों पर सटीक हमला किया, जिसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी हमला किया। दोनों देशों ने फिलहाल सीजफायर का ऐलान किया है और कल यानी 12 मई को दोनों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत होगी। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोनों के बीच मध्यस्थता की बात कही थी लेकिन भारत ने उसका कोई जवाब नहीं दिया है। भारत ने अपना स्टैंड क्लियर किया है और कहा है कि दोनों देशों ने मिलकर सीजफायर का फैसला किया, किसी तीसरे ने इसमें कोई खास भूमिका नहीं निभाई। 

कैसे दिया गया ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले के बाद बिहार से खुले मंच से संदेश दे दिया था जिसे पूरा किया गया। भारत आतंक के खिलाफ था, है और रहेगा। पीएम मोदी ने पूरी दुनिया को संदेश दिया था कि भारत आतंक को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। अब जानते हैं कैसे दिया गया ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम और पाकिस्तान को कितना हुआ नुकसान…

सैनिक दृष्टि से


-पीएम मोदी ने कहा था कि आतंक को मिट्टी में मिला देंगे। तो ये संकेत था पाकिस्तान में जो आतंक के तीन बड़े अड्डे थे, बहावलपुर, मुरीदके और मुजफ्फराबाद में मिट्टी में मिला देंगे। तीनों को ऑपरेशन सिंदूर के तहत आधे घंटे के ऑपरेशन में भारत ने मिट्टी में मिला दिया।

आर्थिक दृष्टि से 

-पीएम मोदी ने पहलगाम हमले के बाद आतंक की Cost of terror पर लगाम लगाई। भारत ने कहा कि सिंधु जल समझौता सीमा पार आतंक से जुड़ा है और यह समझौता जब तक आतंकवाद रहेगा, तबतक रहेगा। ऐसा करके पाकिस्तान का पानी रोका गया जिससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गई। 

मनोवैज्ञानिक तौर पर

पीएम ने जो संदेश जो दिया गया कि आतंकियों को घुस कर मारेंगे, सिर्फ सीमा पर नहीं बल्कि पाकिस्तान के भीतर घुस कर। इस तरह से ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकियों के गढ़ को नेस्तनाबूद कर दिया गया जिससे उन्हें मनोवैज्ञानिक चोट पहुंचाई गई।

अमेरिका ने दी थी भारत को सलाह

7 मई से भारत का स्टैंड साफ था कि दुनिया के नेताओं से जो बातचीत हो रही थी उसमें भारत की तरफ से यह कहा जा रहा था  “अगर वे गोली चलाएंगे तो हम भी गोली चलाएंगे, अगर वे रुकेंगे तो हम भी रुकेंगे, इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है।” भारत सरकार की तरफ से बार बार कहा गया कि बातचीत सिर्फ और सिर्फ डीजीएमओ स्तर पर होगी और किसी स्तर पर नहीं होगी। अमेरिका ने मध्यस्थता की सलाह दी जिसपर भारत ने चुप्पी साध ली। वह नहीं चाहता कि दोनों देशों के बीच किसी तीसरे की एंट्री हो।

भारत का स्पष्ट संदेश

9 मई को दोनों देशों ने कुछ ही मिनटों में 1:30 बजे, लगभग उसी समय पाक डीजीएमओ को सूचित किया गया कि हमने इन 9 स्थानों पर हमला किया है, हमने पाक डीजीएमओ से कहा ‘यदि आप बात करना चाहते हैं तो हम बात करने के लिए तैयार हैं। लेकिन पाकिस्तान ने एक अलग रास्ता अपनाने का फैसला किया। इससे पहले भारत के विदेश मंत्री ने अमेरिका के विदेश मंत्री रुबियो से बात की और उनसे कहा कि ‘हम पाकिस्तान में आतंकवादियों पर हमला करेंगे, इस बारे में किसी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।’

10 मई को रुबियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की, उन्होंने पाक सेना प्रमुख आसिफ मुनीर से बात करने के बाद विदेश मंत्री से कहा कि इस बार पाकिस्तान गोलीबारी रोकने के लिए तैयार है, क्या आप तैयार हैं? हमने कहा कि डीजीएमओ से डीजीएमओ वार्ता ही एकमात्र रास्ता है। पाकिस्तान के साथ चर्चा करने के लिए और कुछ नहीं है। वे पीओके वापस करें, हम पाकिस्तान से किस बारे में बात करने जा रहे हैं? यदि आप आतंकवादियों को वापस करना चाहते हैं तो हम बात करने के लिए तैयार हैं, अन्यथा हमारे पास बात करने के लिए और कुछ नहीं है।

अमेरिका मध्यस्थता कर रहा था

 9 मई की रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया, जिसपर प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को जवाब मिलेगा। 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ की तरफ से दोपहर 1 बजे अनुरोध आया, क्योंकि भारतीय डीजीएमओ एक मीटिंग में व्यस्त थे, इसलिए वे उस समय बात नहीं कर पाए। उनकी मीटिंग के बाद वास्तविक बातचीत दोपहर 3:35 बजे हुई। अमेरिका को इसकी भनक लग गई। गोलीबारी रोकने की शर्तों पर जो कुछ भी हुआ, वह दोनों देशों के डीजीएमओ की बातचीत के बाद हुआ। 

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