
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
तीन दिन तक पश्चिमी सरहद पर गोलाबारी, ड्रोन और मिसाइलों से हुए हमले अब रुक गये हैं और सबकी नज़रें दोनों देशों के DGMO के बीच सोमवार शाम को होने वाली बातचीत पर टिकी हुई है। उत्तरी भारत में 32 भारतीय हवाईअड्डों पर सिविलियन उड़ानें शुरु करने के आदेश दे दिये गये हैं। ये हवाईअड्डे 8 मई से चल रहे हवाई हमलों के कारण बंद थे। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में आज सेन्सैक्स 2,975 अंक की उछाल के साथ 82,430 पर बंद हुआ। रविवार रात को पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से किसी ड्रोन की हलचल नज़र नहीं आई। सोमवार को मीडिया से बात करते हुए हवाई ऑपरेशन्स के महानिदेशक एयर मार्शल ए के भारती ने कहा कि हमारी वायु सेना के सभी अड्डे और सारे सिस्टम अभी सतर्क हैं और अगर ज़रूरत पड़ी तो किसी भी नये मिशन को अंजाम देने के लिए तैयार हैं। एक सवाल के जवाब में, एयर मार्शल ने रामचरितमानस की इस पंक्ति सुनाई, “विनय ना मानत जलध जड़ गए तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब भय बिनु होय ना प्रीति”। मीडिया ब्रीफिंग से पहले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता से पंक्ति, ‘याचना नहीं अब रण होगा, संघर्ष बहुत भीषण होगा’ सुनाया गया। एयर मार्शल ने कहा कि शुरू से भारत का युद्ध आतंकवाद से था क्योंकि पहलगाम नरसंहार के साथ ही “:पाप का घड़ा भर चुका था।” उन्होंने कहा कि हमारी सेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी अड्डों को नेस्तनाबूद कर दिया, लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवादियों के समर्थन में खड़े होकर इस युद्ध में कूदन का फैसला किया और उसे हमारी तीनों सेनाओं की तरफ से जबरदस्त जवाब मिला। एयर मार्शल ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान ने फिर गलत हरकतें की तो उसकी भीषण और दंडात्मक जवाब दिया जाएगा।
सवाल अब ये है कि भारत ने अपने जवाबी हमले क्यों रोके ? भारत अब पाकिस्तानी ठिकानों पर हमले क्यों नहीं कर रहा है? भारत ने सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए पाकिस्तान के साथ सहमति पर क्यों राजी हुआ? हमारे जनरल्स ने बताया कि जब भारत की फौज ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों के अड्डे तबाह किए उसके बाद अपनी पब्लिक को दिखाने के चक्कर में पाकिस्तान ने भारत में कई जगह हमले किए। हमारी सीमाओं के अंदर ड्रोन उड़ाए, युद्ध जैसे हालात पैदा किए, भारत ने इसका Tit For Tat जवाब दिया। अब सवाल ये पैदा होता है कि सीजफायर कैसे हुआ और इसके पीछे की कहानी क्या है? अमेरिका इसमें कैसे कूदा?
नौ मई की रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे,डी,वेंस ने नरेन्द्र मोदी को फोन किया। मोदी ने कहा कि पाकिस्तान की गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा। उसी रात पाकिस्तान ने भारत में छब्बीस ठिकानों पर हमले किए। भारत ने पाकिस्तान की वाय़ुसेना के ठिकानों पर जवाबी हमाले किए, पाकिस्तान की वायु सेना को भारी नुकसान पहुंचाया, एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया। भारत के मिसाइल रावलपिंडी तक पहुंच गए, उस जगह पर भी हमला किया गया जिसके पास पाकिस्तान की न्यूक्लियर कमांड सेंटर है। भारत की फौज को निर्देश था कि पाकिस्तान को मुंहतोड़ जबाव देना है। अमेरिकी इंटैलीजेंस ने राष्ट्रपति ट्रंप को बताया कि पाकिस्तान के एटमी ठिकाने भारत की मिसाइल्स के निशाने पर हैं, भारत का पाकिस्तान पर व्यापक हमला करने का प्लान है। अमेरिकी इंटैलीजेंस ने ट्रंप को ये भी बताया कि जनरल आसिम मुनीर ने न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी की मीटिंग बुलाई है। शनिवार और रविवार को भारत और पाकिस्तान के बीच भीषण हमले और जवाबी हमले होंगे। इसके बाद ट्रंप सक्रिय हुए। उन्होंने उपराष्ट्रपति जे डी वेंस से कहा कि वो दोनों देशों से बात करें और किसी भी तरह टकराव को बढने से रोंके। ट्रम्प को आशंका थी कि एटमी हथियारों का इस्तेमाल हो सकता है। ट्रम्प ने बाद में सोशल मीडिया पर अपने मैसेज में एटमी हथियारों के इस्तेमाल की आशंका के बारे में लिखा कि अगर एटमी हथियारों का इस्तेमाल हुआ तो लाखों लोगों की मौत और व्यापक विनाश हो सकता है।
पाकिस्तान को रोकने के लिए वेंस ने पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर से बात की, बाद में हमारे NSA अजीत डोवल से बात की। फिर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो भी मैदान में उतरे। उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से कहा कि पाकिस्तान फायरिंग रोकने को तैयार है, क्या आप भी तैयार हैं? जयशंकर ने कहा कि सरहद पर फायरिंग रोकने का एक ही तरीका है DGMO स्तर पर बात हो। पाकिस्तान के DGMO से पहला अनुरोध दोपहर एक बजे आया, हमारे DGMO ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद तीन बजकर पैंतीस मिनट पर पाकिस्तान के DGMO ने फिर फोन किया। इस बार बात हुई, फायरिंग रोकने का फैसला हुआ। जैसे ही ये खबर ट्रंप को दी गई तो ट्रंप ने फौरन ट्विटर पर इसकी घोषणा कर दी। उन्होंने ये इंप्रैशन दिया कि अमेरिका के लेवल पर बात हुई और सीजफायर हो गया। लेकिन भारत ने बात को DGMO के लेवल पर ही रखा और इसे एग्रीमेंट के बजाए अंडरस्टैंडिंग (सहमति) कहा। इसी बातचीत के दौरान पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा कि वो भारत से बात करना चाहता है, कश्मीर का मसला हल करना चाहता है। जब ये बात भारत तक पहुंचाई गई तो भारत ने कहा कि पाकिस्तान से बात करने के लिए कुछ नहीं है, अगर पाकिस्तान POK भारत को लौटाना चाहता है तो बात हो सकती है, अगर पाकिस्तान फरार आंतकवादियों को भारत को सौंपना चाहता है तो बात हो सकती है, इसके अलावा बात करने के लिए कुछ नहीं है। (रजत शर्मा)
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