भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है। वित्त वर्ष 2024-25 में बैंक ने करीब 9.2 अरब डॉलर का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ दर्ज किया है। इस उपलब्धि के साथ SBI, रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएनजीसी के बाद भारत की तीसरी ऐसी कंपनी बन गई है जो मुनाफे के लिहाज से दुनिया की टॉप 100 कंपनियों में शामिल हो गई है। SBI के इस मजबूत प्रदर्शन के पीछे उसकी डिजिटल पहल ‘योनो’ (YONO) की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। इस प्लेटफॉर्म के आज 7.4 करोड़ से अधिक रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। योनो के माध्यम से अब तक 3.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन जारी किए जा चुके हैं, जो बैंक के खुदरा ऋण कारोबार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
योनो की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्लेटफॉर्म पर हर दिन एक करोड़ से ज्यादा लॉगिन होते हैं और SBI के 65% बचत खाते के ट्रांजैक्शन अब इसी के जरिए पूरे किए जा रहे हैं। यह डिजिटल क्रांति SBI को वैश्विक स्तर पर न सिर्फ प्रतिस्पर्धी बना रही है, बल्कि उसे भविष्य की बैंकिंग का नेतृत्व करने वाली कंपनियों की कतार में भी खड़ा कर रही है।
2.2 लाख कर्मचारी करते हैं एसबीआई में काम
हालांकि, भारत के जानेमाने मार्केटिंग स्ट्रैटेजिस्ट राजेंद्र श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि एसबीआई के मुनाफे का बड़ा हिस्सा अपेक्षाकृत छोटे डिजिटल समूह के कारण है। उन्होंने लिखा कि एसबीआई 50 करोड़ से ज्यादा खातों को सेवाएं देता है, जिससे यह ग्राहक आधार के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा बैंक बन जाता है। लेकिन इनमें से केवल 7.4 करोड़ खाते (करीब 14%) ही योनो से जुड़े हैं। यह एक विरोधाभास है कि मुनाफे का बड़ा हिस्सा इसी छोटे डिजिटल वर्ग से आता है, जबकि शेष 37 करोड़ खाते कम मुनाफा और ज्यादा लागत वाले सेगमेंट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
राजेंद्र श्रीवास्तव ने यह भी सवाल उठाया कि क्या 20,000 शाखाओं और 2.2 लाख कर्मचारियों वाला यह विशाल नेटवर्क, आज के डिजिटल युग में वित्तीय समावेशन का सबसे प्रभावी मॉडल है?
मोबाइल फोन के माध्यम से लेनदेन आसान हुआ
राजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) जैसे आधार, यूपीआई, इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्मार्टफोन ने वित्तीय सेवाओं की पहुंच में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। इसके चलते आज ग्रामीण इलाकों के नागरिक भी मोबाइल के जरिए आसानी से लेनदेन कर पा रहे हैं।
इस पर उन्होंने एसबीआई की भौतिक शाखाओं की जरूरत पर सवाल उठाया और कहा कि इस संदर्भ में बैंक को अपने विशाल शाखा नेटवर्क पर पुनर्विचार करना चाहिए। श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि बावजूद इसके कि एसबीआई ने रिकॉर्ड मुनाफा कमाया है, वह अपने निजी क्षेत्र के प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कमतर मूल्यांकन (पी/बी अनुपात 1.4) पर कारोबार कर रहा है, जबकि HDFC Bank का पी/बी अनुपात 2.8 और ICICI Bank का 3.3 है।
योनो को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए
श्रीवास्तव ने कहा कि घरेलू बाजार में अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में एसबीआई का कम पी/बी, वित्तीय प्रदर्शन के बजाय परिसंपत्ति उपयोग में संरचनात्मक अक्षमताओं के बारे में निवेशकों की चिंताओं को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि एसबीआई को योनो को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए।