सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड देगा RBI, सेंट्रल बोर्ड की 616वीं मीटिंग में लिया गया बड़ा फैसला


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Photo:PTI केंद्रीय बोर्ड ने 15 मई, 2025 को दी थी संशोधित ईसीएफ को मंजूरी

केंद्र सरकार के खाते में डिविडेंड के रूप में एक बहुत मोटी राशि आने वाली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड डिविडेंड देने की घोषणा की। बताते चलें कि ये वित्त वर्ष 2023-24 में दिए गए डिविडेंड से 27.4 प्रतिशत ज्यादा है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था। जबकि, वित्त वर्ष 2022-23 में आरबीआई ने केंद्र सरकार को 87,416 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था। आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की 616वीं बैठक में सरकार को रिकॉर्ड डिविडेंड का भुगतान करने का फैसला लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने की थी। 

RBI के रिकॉर्ड डिविडेंड से सरकार को मिलेगी बड़ी मदद

रिजर्व बैंक से रिकॉर्ड डिविडेंड मिलने से सरकार को अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और पाकिस्तान के साथ संघर्ष के कारण रक्षा मद में बढ़े खर्च से निपटने में मदद मिलेगी। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि बोर्ड ने वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य की समीक्षा की, जिसमें परिदृश्य से जुड़े जोखिम भी शामिल हैं। इस दौरान निदेशक मंडल ने अप्रैल 2024-मार्च 2025 के दौरान रिजर्व बैंक के कामकाज पर भी चर्चा की और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय विवरणों को मंजूरी दी। रिजर्व बैंक ने कहा, “केंद्रीय निदेशक मंडल ने लेखा वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 2,68,590.07 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दी।” 

केंद्रीय बोर्ड ने 15 मई, 2025 को दी थी संशोधित ईसीएफ को मंजूरी

आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए हस्तांतरित की जाने वाली अधिशेष राशि का निर्धारण संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) के आधार पर किया गया है। केंद्रीय बोर्ड ने 15 मई, 2025 को हुई बैठक में संशोधित ईसीएफ को मंजूरी दी थी। संशोधित ढांचे में प्रावधान है कि आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) के तहत जोखिम प्रावधान को आरबीआई के बही-खाते के 7.50 से 4.50 प्रतिशत की सीमा के भीतर बनाए रखा जाना चाहिए। आरबीआई ने कहा कि संशोधित ईसीएफ के आधार पर और वृहद-आर्थिक आकलन को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय निदेशक मंडल ने आकस्मिक जोखिम बफर को और बढ़ाकर 7.50 प्रतिशत करने का फैसला किया है। 

पीटीआई इनपुट्स के साथ

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