
रामचंद्र जांगड़ा
भारतीय जनता पार्टी के सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने हरियाणा के भिवानी में कहा कि आतंकी हमले में सुहाग खोने वाली वीरांगनाओं में वैसा जोश और भाव नहीं था। हमले के दौरान महिलाएं अगर हाथ जोड़ने की बजाय मुकाबला करतीं को कम लोग मरते। देवी अहिल्याबाई होल्कर की जयंती के मौके पर राज्यसभा सांसद ने राहुल गांधी के सवालों पर कहा कि उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता है और न किसी को लेना चाहिए।
कुरूक्षेत्र में कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा से मारपीट को लेकर उन्होंने कहा कि अरोड़ा का सवाल सही था, उनके साथ ऐसा व्यवहार करना गलत है। वहीं, रोहतक मीटिंग में कांग्रेस सासंद और डीसी के बीच कहासुनी पर जांगड़ा ने कहा कि ये दीपेन्द्र हुड्डा की बौखलाहट थी, उन्हें मीटिंग में समय पर आना चाहिए था।
पहलगाम हमले पर क्या बोले?
रामचंद्र जांगड़ा से जब पहलगाम हमले को लेकर सवाल किया गया कि क्या महिलाओं को आतंकियों से लड़ना चाहिए था? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बिल्कुल लड़ना चाहिए था। अगर महिलाएं हाथ जोड़ने की बजाय लड़ जातीं तो आतंकी भी मारे जाते और पर्यटकों की मौत कम होती। उन्होंने कहा कि इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अग्निवीर योजना शुरू की है। अगर वहां पहुंचा हर पर्यटक अग्निवीर होता तो वहीं, आतंकियों को घेर लेते और कोई आतंकी लौटकर नहीं जाता। वहीं, पहलगाम हमले के आरोपी आतंकियों के ना पकड़े जाने पर उन्होंने कहा कि सेना ने उन आतंकियों के ठिकानों और आकाओ को नेस्तनाबूद किया है।
पहलगाम में क्या हुआ था?
पहलगाम में चार हथियारबंद आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों पर हमला बोल दिया था। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। आतंकियों ने धर्म पूंछकर पुरुषों को गोली मारी थी। इस दौरान घोड़ा चलाने वाले एक गाइड ने आतंकियों को रोकने की कोशिश की थी। आतंकियों ने उसे भी गोली मार दी थी। निहत्थे पर्यटकों के पास हथियारबंद और पूरी ट्रेनिंग के बाद आए आतंकियों का मुकाबला करने का कोई मौका नहीं था। अधिकतर लोगों के सिर नीचे करवाने के बाद उन्हें गोली मारी गई थी। घटना के जितने भी वीडियो सामने आए हैं, उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि निहत्थे पर्यटक अपने परिजनों के साथ थे और अचानक हुए हमले में आतंकियों के सामने मजबूर थे।
पहले भी कई नेता दे चुके विवादित बयान
पहलगाम हमले के बाद कई नेता सेना और सरकार को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं। सबसे पहले बीजेपी नेता विजय शाह ने कर्नल सोफिया को आतंकियों और पाकिस्तानियों की बहन कह दिया था। इसके बाद सपा नेता रामगोपाल यादव ने सेना के बड़े अफसरों की जाति बताई थी। मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा की भी जुबान फिसली और उन्होंने कह दिया कि पूरा देश और सेना पीएम मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं। हालांकि, उन्होंने गलती का एहसास होते ही सफाई देकर मामला रफा-दफा कर दिया। इसके बाद विधायक नरेंद्र प्रजापति ने कहा कि यूएन के कहने पर सीजफायर हुआ। सफाई में उन्होंने कहा कि यूएन नहीं बल्कि, यूएस (अमेरिका) के कहने पर सीजफायर हुआ। बाद में उन्हें हकीकत पता चली और उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच डीजीएमओ लेवल की बातचीत के बाद सीजफायर हुआ।
(भिवानी से सुनील कुमार की रिपोर्ट)