भारतीय शेयर बाजार में पिछले सप्ताह गिरावट देखने को मिली थी। बीएसई सेंसेक्स 609.51 अंक फिसलकर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी में 166.65 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी। ऐसे में निवेशकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या सोमवार से शुरू हो रहे नए सप्ताह में बाजार की यह कमजोरी जारी रहेगी या तेजी लौटेगी? मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में शोध प्रमुख (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका के मुताबिक, बाजार का रुख आगे मजबूत रहने की संभावना है। उनके अनुसार, कंपनियों के तिमाही नतीजे और वृहद आर्थिक आंकड़े बाजार को सहारा देंगे। इस सप्ताह निवेशकों की निगाह भारत और अमेरिका की GDP वृद्धि दर पर रहेगी।
इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लाभांश देने की घोषणा की है। यह राशि पिछले वर्ष की तुलना में 27.4% अधिक है। इस लाभांश से सरकार को अमेरिका में शुल्क और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के कारण रक्षा खर्च में हुई वृद्धि जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
मानसून की प्रगति पर रहेगी नजर
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा कि वैश्विक और घरेलू कारकों के चलते बीते सप्ताह शेयर बाजार की चाल सुस्त रही। अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और बढ़ते कर्ज के बोझ को लेकर चिंताओं के चलते एफपीआई निवेशकों ने पूंजी निकासी तेज कर दी, जिससे भारत सहित उभरते बाजारों पर दबाव बना रहा। इस सप्ताह निवेशकों की नजर 28 मई को आने वाले भारत के अप्रैल माह के औद्योगिक उत्पादन और विनिर्माण आंकड़ों पर रहेगी। साथ ही, जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़े भी जारी होंगे, जो आर्थिक सुधार की गति का संकेत देंगे। मिश्रा ने कहा कि मानसून की प्रगति भी बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी। वैश्विक स्तर पर अमेरिकी बॉन्ड बाजार की गतिविधियां, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक के ब्योरे और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता जैसे कारक भी निवेशकों की धारणा को प्रभावित करेंगे। इसके अतिरिक्त, मई के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान और कंपनियों के चौथी तिमाही नतीजों के अंतिम दौर का बाजार पर असर रहेगा। इस सप्ताह बजाज ऑटो, अरविंदो फार्मा और आईआरसीटीसी जैसी प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजे आने वाले हैं।
रिकॉर्ड लाभांश से बाजार की धारणा मजबूत होगी
विशेषज्ञों का मानना है कि इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा मुख्य रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सरकार को दिए गए रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये के लाभांश और इसके राजकोषीय नीतियों पर प्रभाव को लेकर तय होगी। बाजार सहभागियों की पहली प्रतिक्रिया इसी खबर पर केंद्रित रहेगी। लेमन मार्केट्स डेस्क के विश्लेषक गौरव गर्ग के अनुसार, “अमेरिकी अर्थव्यवस्था, विदेशी निवेश प्रवाह और व्यापार वार्ताओं को लेकर जारी अनिश्चितता को देखते हुए निकट भविष्य में भारतीय बाजार में एकीकरण (कंसोलिडेशन) का दौर देखने को मिल सकता है।” एक अन्य विश्लेषक ने कहा कि अमेरिकी कर्ज के बढ़ते स्तर और उसके राजकोषीय स्वास्थ्य को लेकर चिंताओं के कारण बीते सप्ताह बाजार में अस्थिरता बनी रही।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “अब निवेशकों का ध्यान अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता और घरेलू स्तर पर मजबूत वृहद आर्थिक संकेतकों पर है। हालांकि, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और एफआईआई की हालिया बिकवाली से बाजार की धारणा प्रभावित हो सकती है।”