
हमास की कैद से मुक्त हुए आंद्रेई कोजलोव
न्यूयॉर्क: अगर आप आंद्रेई कोजलोव के स्टूडियो के अंदर देखें तो वहां हमास के बंधक के रूप में बिताए गए 8 महीनों से प्रेरित कई पेंटिंग्स हैं और उनमें आपको केवल अंधकार ही दिखाई देगा। उनकी पेंटिंग में आप क्रोध, अविश्वास और दर्द के भाव देख सकते हैं। कोजलोव अब आजाद हैं, जिनके चेहरे पर अब अक्सर मुस्कान का भाव देखने को मिलता है। कोजलोव कहते हैं कि कई बार तो उन्हें विश्वास ही नहीं हो पाता है कि वो बच गए हैं। कोजलोव (28) का कहना है कि ‘‘जब आप अंधकार से घिरे होते हैं, तो अंदर हमेशा प्रकाश की उम्मीद होती है।’’
हालात के मुताबिक ढल चुके हैं कोजलोव
कैद से रिहा होने के लगभग एक साल बाद कोजलोव खुद को हालात के मुताबिक ढाल चुके हैं। कोजलोव अब बंधक नहीं हैं, लेकिन जानते हैं कि दुनिया हमेशा उन्हें एक बंधक के रूप में देखेगी। वह कहते हैं, ‘‘हमेशा कहा जाएगा कि मुझे बंधक बनाया गया था। यह हमेशा मेरे जीवन का हिस्सा रहेगा।’’ इजरायल में एक संगीत कार्यक्रम से उनका अपहरण किया गया था।
हमास की कैद से मुक्त हुए आंद्रेई कोजलोव
रूस में पले-बढ़े कोजलोव
कोजलोव रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में पले-बढ़े, लेकिन लंबे समय से उन्हें घूमने-फिरने का शौक था। सेना में अनिवार्य एक वर्ष की सेवा करने के बाद, उन्होंने इजरायल में रहने का फैसला किया। अगस्त 2022 में वो इजरायल पहुंचे और वहां वह एक कंपनी से जुड़ गए। उन्हें सात अक्टूबर, 2023 को बंधक बना लिया गया गया, जो इजरायल के इतिहास में सबसे घातक दिनों में से एक था।
हमास की कैद से मुक्त हुए आंद्रेई कोजलोव
‘नरक जैसे थे हालात’
कोजलोव की कैद के शुरुआती दिन “भयानक नरक” जैसे थे। 8 महीनों तक उन्हें अलग-अलग घरों में रखा गया, जहां उनके साथ रहने वाले 2 दर्जन आतंकियों की एक टुकड़ी निगरानी करती थी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग दया का दिखावा करते थे, अन्य लोग अपने बंदियों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करते थे। कुछ हिरासत स्थलों में, वह गीले, चिपचिपे गद्दे पर सोते थे, जिस पर फफूंद की बदबू आती थी। कुछ महीनों के बाद, उनके अपहरणकर्ताओं ने थोड़ी रहम दिखाते हुए उन्हें एक पेंसिल और पतली नोटबुक दी। आखिर 247वें दिन वह आजाद हुए।
हमास की कैद से मुक्त हुए आंद्रेई कोजलोव
इजरायली सेना ने छुड़ाया
इजरायली रक्षा बल ने नुसेरात शरणार्थी शिविर के उस घर में धावा बोला, जहां कोजलोव को रखा गया था। सैन्य ऑपरेशन में उन्हें और तीन अन्य बंधकों को बचाया गया। कुछ ही पलों में वह बाहर थे, महीनों में पहली बार उनके चेहरे पर सूरज की रोशनी पड़ रही थी, उसके हाथ में कोक था और होठों पर सिगरेट थी। एक हेलीकॉप्टर ने उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। मुक्त कराए जाने के बाद कुछ महीने उन्होंने इजरायल में बिताए, फिर अमेरिका चले गए। हडसन नदी से एक ब्लॉक दूर अपने स्टूडियो में, वह अपने काम की प्रदर्शनी को अंतिम रूप दे रहे हैं। इनमें ज्यादातर ऐक्रेलिक पेंटिंग की एक श्रृंखला है जो उनके पकड़े जाने, कैद और रिहाई को दर्शाती है। (एपी)
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