
बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर बड़ा खुलासा।
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से 38 बांग्लादेशियों को पकड़ा है। यह सभी बांग्लादेशी कुच बिहार के रास्ते दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली से पहले यह सभी बांग्लादेशी नूहं में रहकर काम कर रहे थे। दिहाड़ी कम मिलने के कारण यह सभी अवैध बांग्लादेशी नूंह से दिल्ली में आकर रहने लगे और फैक्ट्री में काम करने लगे। पकड़े गए 38 बांग्लादेशियों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। बता दें कि अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस का एक्शन तेज हो गया है। अब तक 1000 से ज्यादा घुसपैठिये डिपोर्ट कर दिए गए हैं। दिल्ली पुलिस घुसपैठियों का नेटवर्क तोड़ने में जुटी है। लेकिन ये अवैध बांग्लादेशी भारत में घुसपैठ कैसे कर रहे हैं? इन्हें डिपोर्ट कैसे किया जा रहा है? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब।
अब तक 1000 डिपोर्ट, 500 से ज्यादा चिन्हित
दरअसल, दिसंबर 2024 में अवैध-बांग्लादेशियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने जो ड्राइव शुरू की थी वह पहलगाम में आतंकी हमले के बाद और तेज हो गई है। पिछले 6 महीने में दिल्ली पुलिस ने कई सिंडिकेट का भी भंडाफोड़ किया है। ये सिंडिकेट अवैध बांग्लादेशियों को देश में अवैध तरीके से प्रवेश से लेकर उन्हें राजधानी तक पहुंचाने और यहां उनका जाली दस्तावेज बनवाने और नौकरी दिलाने तक में मदद करते हैं। दिल्ली पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक पुलिस ने करीब करीब 1000 अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को FRRO यानी विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय की मदद से बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया है। वहीं, अन्य करीब 500 अवैध बांग्लादेशियों की पहचान की जा चुकी है, जिनके डिपोर्टेशन की प्रक्रिया चल रही है।
दिल्ली पुलिस ने घुसपैठ के खिलाफ तेज किया एक्शन।
पहलगाम हमले के बाद वेरिफिकेशन ड्राइव में तेजी
दिल्ली पुलिस ने हाल में ही एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया था। तब पुलिस को पता लगा कि अवैध बाग्लादेशी घुसपैठियों की जड़ें बेहद गहरी जम चुकी हैं। जब पुलिस ने जांच की तो पता लगा कि अवैध घुसपैठिए कहीं एयरलाइंस में और कहीं प्राइवेट नौकरी कर रहे। इसके लिए ये जाली दस्तावेजों का सहारा लेते है। कई घुसपैठियों के बच्चे EWS कोटे से दिल्ली के स्कूलों में पढ़ रहे है। दिल्ली पुलिस ने अवैध-घुसपैठियों के खिलाफ वेरिफिकेशन ड्राइव में तेजी दिसंबर 2024 में लाई गई थी। इसको पहलगाम में हुई घटना के बाद और तेज कर दिया गया। दिल्ली के सभी 15 जिलों के डीसीपी ने अवैध घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने के लिए विशेष टीमें बनाई थी।
किस इलाके से कितने बांग्लादेशी पकड़े गए?
जानकारी के मुताबिक, दक्षिणी दिल्ली से अब तक 67 अवैध बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है। वहीं, दक्षिण पश्चिम जिले से 60, दक्षिण पूर्वी जिले से 64, उत्तर पूर्वी जिला से नौ, बाहरी दिल्ली से 99, नई दिल्ली से चार, रोहिणी से 15, सेंट्रल से 58, उत्तरी से 68, पूर्वी से 7, पश्चिम से 27, शाहदरा से 6, द्वारका से 48, उत्तर पश्चिम से 31, जबकि सबसे ज्यादा उत्तरी बाहरी दिल्ली से 127 अवैध बांग्लादेशियों को अब तक डिपोर्ट किया जा चुका है। हालांकि, पुलिस सूत्रों का कहना है कि इससे कहीं ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों की पहचान की जा चुकी है और उनको डिपोर्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है।
कैसे घुसपैठ करते हैं बांग्लादेशी?
जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने कई ऐसे सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है जो अवैध-बांग्लादेशियों को देश के अंदर एंट्री कराने से लेकर के उन्हें बंगाल-असम के रास्ते दिल्ली लाने और फिर यहां पर बसाने का काम करते थे। घुसपैठ में जुड़े सिंडिकेट दो तरीके से काम करते हैं। इसका एक तार बांग्लादेश में जुड़ा हुआ होता है। बांग्लादेश का जो मॉड्यूल होता है वह वहां पर उन लोगों से बात करता जो अवैध तरीके से भारत आना चाहते हैं। फिर उनसे अपना कमीशन ले कर बांग्लादेशी मोड्यूल उन्हें बॉर्डर पार करवाता है।
बांग्लादेशी घुसपैठ के मॉडयूल का भंडाफोड़।
घुसपैठ के रूट, अलग-अलग मोड्यूल के जरिए घुसपैठ
मोड्यूल 1
पहला मॉड्यूल बांग्लादेश के अंदर काम करता है जो उनकी पहचान करता है जो भारत तरीके से आना चाहते हैं। इसके बाद वह उन्हें बॉर्डर पार करवा देता है। ये बांग्लादेश से भारत में जंगल के अलग-अलग रास्तों से डंकी रूट से बांग्लादेशियों को घुसपैठ करवाता है।
मोड्यूल 2
भारत में एंट्री कर लेने के बाद मोड्यूल 2 सक्रिय हो जाता है और वह अवैध घुसपैठियों को किसी तरीके से पास के रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन पहुंचाता है। वहां उनका लोकल टिकट कटा कर उन्हें आगे भेज दिया जाता है।
मोड्यूल 3
पहुंचने के बाद इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को ट्रेन के जरिए या तो कोलकाता ले जाया जाता है या फिर बस के जरिए ले जाया जाता है। इसके बाद इन्हें दिल्ली की ट्रेन या बस में बिठा दिया जाता है।
मोड्यूल 4
चौथे पड़ाव पर पहुंचने के साथ ही चौथे मॉड्यूल का काम शुरू हो जाता था। चौथे मॉड्यूल का काम दिल्ली में आते ही रहने के लिए कोई सुरक्षित जगह दिलाना और साथ ही छोटा-मोटा काम दिलाना जैसे कूड़े बीनना या फिर कबाड़ इकट्ठा करना। शुरुआत में ज्यादातर अवैध घुसपैठिए यही काम करते हैं। इसके बाद उनके अवैध तरीके से दस्तावेज बनवा दिए जाते है।
क्या है डिपोर्ट करने की प्रक्रिया?
दिल्ली पुलिस जब भी अपनी कोई ड्राइव चलाती है तो उन जगहों पर पुलिस की टीम रेड करती है जहां पर अवैध-बांग्लादेशों के छिपे होने की जानकारी मिलती है। एक बार जब पुलिस किसी को पकड़ती है तो उसके पास से बरामद दस्तावेजों की जांच की जाती है। कई के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं और तो और कई के पास से बांग्लादेश का कार्ड भी बरामद हुआ है। एक बार जब यह तय हो जाता है कि सामने वाला अवैध तरीके से देश में एंट्री करके रह रहा है तो फिर पुलिस उन्हें एफआरआरओ के हवाले कर देती है जहां से उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट किया जाता है।
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