“रूस-भारत और चीन की तिकड़ी को एक्टिव करने का समय आ गया है”, सर्गेई ने क्यों दिया ऐसा बयान; जानें एक्सपर्ट व्यू


सर्गेई लावरोव, रूस के विदेश मंत्री।
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सर्गेई लावरोव, रूस के विदेश मंत्री।

मॉस्को: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत-रूस और चीन की तिकड़ी को फिर से एक्टिव करने का बयान देकर पूरी दुनिया में हलचल पैदा कर दी है। रूस का यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया है, जब अमेरिका में ट्रंप का शासन आने के बाद वैश्विक स्तर पर उनके अनाप-सनाप फैसलों ने उथल-पुथल मचा रही है और ऐसे वक्त में परेशान दुनिया के तमाम देश अपना नया वर्ल्ड लीडर ढूंढ़ रहे हैं। मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में शांति और विकास के पक्षधर भारत पर दुनिया का भरोसा बढ़ रहा है। लिहाजा भारत के पारंपरिक और गहरे दोस्त रूस ने दुनिया के इन 3 ताकतवर देशों की तिकड़ी की ताकत को संयुक्त करने का बयान देकर वैश्विक स्तर पर बहु ध्रुवीय पॉवर की ओर आकर्षित होते देशों को एक नया विकल्प दे दिया है। 

अमेरिका भी सकते में!

रूस के इस बयान के गहरे निहिःतार्थ निकाले जा रहे हैं। सर्गेई लावरोव ने कहा है कि उनके देश की रुचि वास्तव में रूस-भारत-चीन (आरआईसी) के त्रिकोणीय प्रारूप को फिर से सक्रिय करने की है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 2020 में उत्पन्न हुए गतिरोध के बाद आरआईसी प्रारूप बहुत सक्रिय नहीं रहा है। मगर अब इसे फिर से एक्टिव करने का समय आ गया है। उनके इस बयान के बाद अमेरिका को भी पावर के विकेन्द्रीकरण का खतरा निश्चित रूप से सता रहा होगा।

लावरोव ने क्यों किया भारत-रूस और चीन की तिकड़ी को एक्टिव करने का जिक्र?

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव के अनुसार वर्तमान में दुनिया बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर उन्मुख हो रही है, जिसमें भारत विश्व का सबसे भरोसेमंद देश बनकर उभरा है। भारत मौजूदा वक्त में दुनिया की सबसे बड़ी चौथी अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत के पास पीएम मोदी जैसे टॉप लीडर का नेतृत्व है, जिनको दुनिया के तमाम देश वर्ल्ड लीडर के तौर पर देख रहे हैं। भारत के वैश्विक विदेश नीति और कूटनीति लाजवाब है। भारत शांति और विकास का पक्षधर है। ट्रेड, टेक्नॉलोजी और ताकत में भारत दुनिया के बड़े देशों से कदमताल कर रहा है। रूस गत 3 साल से यूक्रेन के साथ युद्ध में पड़ा है। यूरोप और अमेरिका रूस के सबसे बड़े विरोधी हैं। उधर चीन और अमेरिका परस्पर प्रतिद्वंदी हैं। रूस चीन और भारत की ताकत को भलीभांति पहचानता है। ऐसे में मॉस्को भारत-रूस और चीन के त्रिकोणीय पॉवर को एकजुट करना चाहता है। ताकि अमेरिका और यूरोप जैसी शक्तियां इन ताकतों के आगे बैलेंस हो सकें। 

भारत-रूस और चीन की तिकड़ी से किसे दिक्कत

मौजूदा वक्त में रूस-चीन और भारत तीनों ही दुनिया के ताकतवर देशों में शुमार हैं। इन तीनों देशों के एकजुट होने से अमेरिका और यूरोपीय देशों को सबसे ज्यादा दिक्कत होगी। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास के अनुसार लावरोव ने कहा, ‘‘ मैं त्रिकोणीय – रूस, भारत, चीन – प्रारूप को फिर से सक्रिय करने की हमारी वास्तविक रुचि को दोहराना चाहता हूं , जिसकी स्थापना कई साल पहले (रूस के पूर्व प्रधानमंत्री) येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर हुई थी। इस त्रिकोणीय प्रारूप के तहत अब तक 20 से अधिक बार मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित की हैं गई हैं। ये बैठकें न केवल विदेश नीति प्रमुखों के स्तर पर, बल्कि तीनों देशों की अन्य आर्थिक, व्यापार और वित्तीय एजेंसियों के प्रमुखों के स्तर पर भी हुई हैं।’’ रूस के विदेश मंत्री ने ऐसे वक्त में यह बयान दिया, जब वे यूराल पर्वतों से घिरे पर्म शहर में यूरेशिया में सुरक्षा और सहयोग की एकल और न्यायसंगत प्रणाली बनाने पर एक अंतरराष्ट्रीय सामाजिक और राजनीतिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह शहर यूरोप और एशिया की सीमा पर है।

रूस ने कहा-भारत और चीन के बीच सीमा पर हो गया है समझौता

लावरोव ने यह भी कहा, ‘‘जैसा कि मैं समझता हूं, अब भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के तरीके पर सहमति बन गई है। दोनों देश सामान्य होने की ओर तेजी से आगे बढ़े हैं। ऐसे में मुझे लगता है कि इस आरआईसी त्रिकोणीय प्रारूप को फिर से सक्रिय करने का समय आ गया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका नीत उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) खुलेआम भारत को चीन विरोधी षड्यंत्रों में शामिल करने की कोशिश कर रहा है। लावरोव ने कहा, ‘‘मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे भारतीय मित्र और मैं जाहिर तौर पर इस प्रवृत्ति को देखते हैं और यह बात उनके साथ गोपनीय बातचीत के आधार पर कह रहा हूं। इसे वास्तव में एक बड़ी उकसावे वाली कार्रवाई माना जा सकता है।’ 

 

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