’24 करोड़ पाकिस्तानियों का बुनियादी हक है पानी’, भारत के एक्शन पर बिलबिला रहे हैं आसिम मुनीर


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पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने एक बार फिर गीदड़भभकी देते हुए कहा है कि पानी के मुद्दे पर पाकिस्तान कोई समझौता नहीं करेगा। फील्ड मार्शल मुनीर ने पानी को 24 करोड़ पाकिस्तानियों का बुनियादी हक बताया। गुरुवार को विभिन्न यूनिवर्सिटियों के कुलपतियों, शिक्षकों और शिक्षाविदों से बातचीत में मुनीर ने कहा, ‘पानी हमारी लाल रेखा है। हम भारत का आधिपत्य कतई स्वीकार नहीं करेंगे।’

पाकिस्तान की तरफ से लगातार आ रहे ऐसे बयान

मुनीर का यह बयान भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के बाद आया है। भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित किए जाने के बाद से ही पाकिस्तान की तरफ से ऐसे बयान आ रहे हैं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के बाद भारत ने यह कड़ा कदम उठाया। भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, यह समझौता निलंबित रहेगा।

पाकिस्तान क्यों बिलबिलाया हुआ है?

पाकिस्तान के नेता और सेना इस मुद्दे पर बेचैन हैं क्योंकि सिंधु जल समझौता उनके लिए जिंदगी की डोर है। यह 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों (सतलज, ब्यास, रावी, झेलम और चिनाब) के पानी के बंटवारे को तय करता है। इस समझौते के तहत पाकिस्तान को झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों का ज्यादातर पानी मिलता है, जो उसकी खेती और अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।

भारत ने समझौते को निलंबित करने के बाद नदियों के पानी की जानकारी साझा करना बंद कर दिया है। इससे पाकिस्तान में पानी की कमी का डर बढ़ गया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने इसे ‘जंग के जैसा’ करार दिया है।

सिंधु जल समझौते के निलंबन से क्या है खतरा?

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और खेती सिंधु नदी तंत्र पर निर्भर है। अगर भारत पानी के प्रवाह को कम करता है या पूरी तरह रोक देता है, तो:

  • खेती पर संकट: पाकिस्तान की 40% से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर है। पानी की कमी से फसलें बर्बाद हो सकती हैं, जिससे खाद्य संकट और महंगाई बढ़ेगी।
  • पानी की कमी: सिंध और बलूचिस्तान जैसे इलाकों में पहले से पानी की किल्लत है। समझौते के निलंबन से यह और गंभीर हो सकता है।
  • आर्थिक नुकसान: पानी की कमी से बिजली उत्पादन और उद्योग प्रभावित होंगे, जिससे पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था और चरमरा सकती है।
  • सामाजिक अशांति: पानी की किल्लत से जनता में गुस्सा और अशांति बढ़ सकती है, खासकर बलूचिस्तान और सिंध में, जहां पहले से विद्रोह की आग सुलग रही है।

‘पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते’

मुनीर ने झूठे आरोप लगाते हुए बलूचिस्तान में आतंकवाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह छोड़ नहीं देता, न तो समझौता बहाल होगा और न ही कोई बातचीत होगी। पाकिस्तान ने भारत से समझौते पर दोबारा विचार करने की अपील की है, लेकिन भारत का रुख सख्त है। भारत ने साफ कर दिया है कि ‘पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।’

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